अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, 6 याचिकाकर्ताओं में 2 पूर्व सैन्य अधिकारी और 3 पूर्व IAS अफसर
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य के पुर्नगठन किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को नई याचिका दाखिल की गई। छह याचिकाकर्ताओं में पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक और सेवानिवृत्त मेजर जनरल अशोक मेहता भी शामिल हैं।
याचिकाओं में कहा गया है कि संशोधन उन सिद्धांतों के के खिलाफ है जिनके आधार पर जम्मू और कश्मीर राज्य भारत में एकीकृत है। इन प्रावधानों को हटाने से पहले जम्मू और कश्मीर के लोगों से कोई प्रतिज्ञान या अनुमोदन नहीं लिया गया जो कि विशेष रूप से संवैधानिक अनिवार्यता है।
याचिकर्ताओं में ये हैं शामिल
जम्मू-कश्मीर (2010-11) के गृह मंत्रालय के ग्रुप ऑफ इंटरलोकेटर्स के पूर्व सदस्य राधा कुमार और जम्मू-कश्मीर कैडर से संबंधित पूर्व आईएएस अधिकारी हिंदाल हैदर तैयबजी भी याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं। रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के उप निदेशक रहे एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) कपिल काक, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार मेहता, पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अमिताभ पांडे और 2011 में केंद्रीय गृह सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए केरल कैडर के पूर्व आईएएस गोपाल पिल्लई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से किया था इनकार
इससे पहले कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कहा था कि स्थानीय नेताओं को नजरबंद किया जाना और घाटी में प्रतिबंध लगाना गलत है। इससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में लगी पाबंदियों पर दखल देने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य में स्थिति संवेदनशील है। सरकार पर भरोसा किया जाना चाहिए। हालांकि अदालत ने सरकार से पूछा था कि राज्य में और कब तक पाबंदियां रहेंगी। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि 2016 में ऐसी ही स्थिति को सामान्य होने में 3 महीने लगे थे।
इससे पहले भी ऐसी ही एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। सीजेआई गोगोई ने वकील एमएल शर्मा को कहा था कि मैंने आधे घंटे आपकी याचिका पढ़ी, लेकिन समझ नहीं आया कि इसमें आप कहना क्या चाहते हैं। चीफ जस्टिस ने उन्हें संशोधित याचिका दायर करने को कहा था।
क्या है मामला?
केंद्र ने 5 अगस्त को राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटा दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।
इसके बाद राज्य दो सप्ताह से अधिक समय तक लॉकडाउन में रहा है। इस दौरान कोई दूरसंचार सेवा नहीं है। पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सहित राजनेताओं को नजरबंद रखा गया है। शनिवार को शहर में लोगों की आवाजाही पर आंशिक रूप से प्रतिबंध हटा दिया गया और कुछ मुट्ठी भर लैंडलाइन सेवाएं भी बहाल कर दी गईं।