भाजपा विधायक सोम पर मांस कारोबार में लिप्त होने के आरोप!
अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, संगीत सोम तथा अन्य दो लोगों ने मिलकर वर्ष 2009 में मीट प्रोसेसिंग यूनिट के लिए अलीगढ़ में जमीन खरीद थी। अखबार का दावा है कि अल-दुआ फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड में मोईनुद्दीन कुरैशी और योगेश रावत के साथ संगीत सोम डायरेक्टर थे और उन्होंने कंपनी के लिए यह जमीन खरीदी थी। हालांकि, संगीत सोम ने कुछ साल पहले अलीगढ़ में जमीन खरीदने और अल दुआ को देने की बात स्वीकार की है लेकिन मीट कारोबार से जुड़ी उस कंपनी का डायरेक्टर होने की बात से इनकार किया है। आउटलुक की छानबीन में भी फिलहाल संगीत सोम के अल-दुआ फूड प्रोसेसिंग प्राईवेट लिमिटेड में डायरेक्टर होने की पुष्टि नहीं हुई है। हो सकता है, पहले सोम इस कंपनी से जुड़े रहे हों।
खबर के मुताबिक, संगीत सोम ने कहा है कि उन्होंने जो जमीन खरीदी थी वह कुछ ही महीनों बाद अल-दुआ फूड प्रोसेसिंग प्राईवेट लिमिटेड को बेच दी थी। जमीन खरीदने, बेचने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने दावा किया, जमीन खरीदने-बेचने का यह मतलब नहीं कि वह मीट फैक्ट्री लगाने में शामिल थे। वह एक सच्चे हिंदू हैं और ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जो उनके धर्म के खिलाफ हो। संगीत सोम ने यह भी दावा किया है कि यदि मीट फैक्ट्री में उनकी भूमिका साबित होती है तो वह राजनीति छोड़ देंगे।
दरअसल, संगीत सोम और मीट कारोबारियों के रिश्तों पर समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष अतुल प्रधान पहले भी सवाल उठा चुके हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अतुल प्रधान ने संगीत सोम द्वारा बूचड़खाने की अनुमति मांगे जाने के कागजात मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी दिखाए हैं। आरोप हैं कि अलीगढ़ में जब सरकार ने संगीत सोम को यह बूचड़खाना खोलने की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने यह जमीन बेच दी।
गौरतलब है कि संगीत सोम पर मुजफ्फरनगर दंगों को भड़काने के आरोप भी लगे थे जिसके बाद से उनकी छवि उग्र हिंदुत्ववादी नेता की बनने लगी थी। दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस की अफवाह पर एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या के बाद भी उन्होंने भी गांव का दौर किया और विवादास्पद बयान दिए थे। मीट कारोबारियों के साथ उनके संबंधों के आरोप लगने के बाद सोशल मीडिया पर गोहत्या को लेकर भाजपा की राजनीति पर सवाल उठने लगे हैं। गाैरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूपीए सरकार द्वारा मीट उद्योग को बढ़ावा देने और गुलाबी क्रांति का मुद्दा जोरशोर से उठाया था।