क्या है मेडिकल कमीशन बिल, जिसके विरोध में हजारों डॉक्टर सड़कों पर उतरे हैं
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर निजी अस्पतालों के डॉक्टर व मेडिकल स्टूडेंट्स एक बार फिर रविवार को दिल्ली की सड़कों पर उतरे हैं। ये डॉक्टर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध कर रहे हैं। इसमें विभिन्न राज्यों से करीब 25 हजार डॉक्टर हिस्सा ले रहे हैं।
इससे पहले भी डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इसी साल जनवरी महीने में बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजे जाने के बाद हड़ताल वापस हुई थी।
आइए, जानते हैं क्या है नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-
चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017 के तहत चार स्वायत्त बोर्ड बनाने का प्रावधान है। इनका काम अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा को देखने के अलावा चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था को देखना होगा। नेशनल मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा नामित चेयरमैन व सदस्य होंगे जबकि बोर्डों में सदस्य सर्च कमेटी के जरिये तलाश किए जाएंगे। यह कैबिनेट सचिव की निगरानी में बनाई जाएगी। पैनल में 12 पूर्व और पांच चयनित सदस्य होंगे।
लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव
बिल में साझा प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है। सभी स्नातकों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा को पास करना होगा। बिल के जरिए सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने के लिए संस्थानों को अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इस बिल में आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है।
ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा
ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा दिया गया है। बिल का क्लॉज 49 कहता है कि एक ब्रिज कोर्स लाया जाएगा जिसे करके आयुर्वेद, होम्योपेथी के डॉक्टर भी एलोपेथी इलाज कर पाएंगे।
साथ ही NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट) परीक्षा का स्तर काफी उच्च रखा गया है, जिससे सिर्फ 40 फीसदी स्टूडेंट ही परीक्षा पास कर पाएंगे। इसको एम्स के बराबर दर्जा दिया गया है, जिससे आम स्टूडेंट परेशानी में पड़ सकते हैं। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15% सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 60% सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा।
खत्म हो जाएगा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया
बिल का क्लॉज 58 कहता है कि इस कानून के आते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगा और इसके अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त हो जाएंगी। उन्हें 3 महीने की तनख्वाह और भत्ते मिलेंगे।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकारियों की नियुक्ति चुनाव से होती थी लेकिन मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों को मनोनीत करेगी।
कमीशन तय करेगा फीस
यह कमीशन निजी मेडिकल संस्थानों की फीस भी तय करेगा लेकिन सिर्फ 40 फीसदी सीटों पर ही। 60 फीसदी सीटों पर निजी संस्थान खुद फीस तय कर सकते हैं।