Advertisement
07 October 2017

मिलिए, केरल के पहले दलित पुजारी 22 साल के येदु कृष्णा से

तुफैल

छह साल की उम्र में येदु कृष्णा ने थ्रिसार जिले में एक मंदिर में बतौर हेल्पर काम करना शुरू किया था। अब येदु कृष्णा को केरल के त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड (टीडीबी) ने पहला दलित पुजारी चुना है। इसके अलावा पांच और दलित पुजारियों की नियुक्ति की गई है। त्रावणकोर बोर्ड राज्य में एक हजार मंदिरों की देख-रेख करता है और उनके प्रशासन का काम भी इसी के जिम्मे है।

22 साल के कृष्णा, एर्नाकुलम में गुरूदेव वैदिक तंत्र विद्या पीठम के ब्रह्माश्री केके अनिरुद्ध तंत्री के शिष्य हैं और उनका चुनाव परीक्षा और इंटरव्यू से हुआ है।

Advertisement

ये नियुक्ति सरकार की रिजर्वेशन पॉलिसी की तरह ही हुई है। एससी-एसटी और ओबीसी कैटेगरी का रिजर्वेशन 32 फीसदी है। इनमें से 36 पिछड़े वर्ग के हैं, जिन्होंने मेरिट लिस्ट में नाम दर्ज करवाया है।

पहले पुजारी कृष्णा के गुरू अनिरुद्ध तंत्री ने कहा कि वह पहली बार कृष्णा से नालुकेट्ट श्रीधर्मा शास्त्र भद्रकाली मंदिर में मिले थे। तंत्री वहां पर आचार्य थे और एक मजदूर का लड़का कृष्णा वहां पर हेल्पर था।

तंत्री ने आउटलुक को बताया, ‘वह अनुशासित शिष्य था। वह पूजा के लिए फूल लाता था। मैंने उससे कभी उसकी जाति नहीं पूछी। मैंने उससे पूछा कि क्या वह शांति पूजा सीखना चाहता है। वह राजी हो गया और मैं उसे अपने विद्या पीठ ले गया।‘

तंत्री ब्राह्मण समाज से ना होकर ओबीसी समाज से आते हैं। वह कहते हैं, 'उनकी विद्या पीठ 30 सालों से शांति पूजा सिखा रही है और इस बैच में 30 से ज्यादा विद्यार्थी हैं। वो हर जाति से आते हैं और उनके कई शिष्य राज्य और देश के दूसरे इलाकों में अलग-अलग मंदिरों में हैं। वह देवास्वम बोर्ड द्वारा कृष्णा की नियुक्ति को ऐतिहासिक मानते हैं।'

तंत्री ने कहा, ’कृष्णा जब विद्यापीठम में आया था, तब 12 साल का था और आज संस्कृति, व्यवहार, खान-पान और हर चीज में आज ब्राह्मण है।'

अनिरुद्ध तंत्री ने कहा कि उन्हें कई लोगों से इस बात के विरोध की भी आशंका है कि गैर-ब्राह्मण लोग पुजारी कैसे बन सकते हैं। आउटलुक के संपर्क करने पर कृष्णा ने भी कहा कि उसकी नियुक्ति का विरोध हो सकता है।

पिछले महीने दलित समुदाय के एक पुजारी बीजू नारायण पर केरल के पलक्कड़ जिले में हमला हो गया था। मातृकुला धर्म रक्षा आश्रम नारायण जब घर पर आराम कर रहे थ, तब उनके हाथ और कंधे पर अज्ञात शख्स द्वारा धारदार हथियार से वार किया गया। वह महायज्ञ की तैयारी कर रहे थे, जिसे दिसंबर में होना था और उसमें कई दलित भी शामिल होने वाले थे। हमले से पहले उन्हें फोन और फेसबुक पर धमकियां मिल रही थीं।

जून में हिंदू मठ कंवेशन के विरोध के बाद देवास्वम बोर्ड ने अलप्पुझ के चेट्टीकुलंगड़ा देवी मंदिर में एक गैर-ब्राह्मण पुजारी की नियुक्ति रद्द कर दी थी। कंवेशन का कहना था इससे देवी नाराज हो जाएंगी। हालांकि जब पुजारी ने राज्य मानवाधिकार आयोग में अपील की तब उसे फिर से कीझशांति (जूनियर पुजारी) के तौर पर नियुक्त कर दिया।

अनिरुद्ध तंत्री ने कहा कि इसमें जातिवाद खत्म करने के लिए हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ब्राह्मण आदमी अपने कर्म और ज्ञान से होता है, जन्म से नहीं।

आउटलुक से बातचीत में कृष्णा ने कहा, ‘मैं इसे नौकरी की तरह नहीं लेता। ये मेरे लिए उपासना का जरिया है।‘  

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: yedu krishna, dalit priest, travancore devaswam board of kerala
OUTLOOK 07 October, 2017
Advertisement