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26 March 2025

कामरा विवादः सामना में शिंदे समर्थकों की तोड़फोड़ को लेकर साधा निशाना

शिवसेना (उबाठा) ने ‘आलोचना को लोकतंत्र की आत्मा’ बताने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी का हवाला देते हुए कॉमेडियन कुणाल कामरा के विवादित चुटकुलों से उत्तेजित होकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समर्थकों के तोड़फोड़ करने पर बुधवार को सवाल उठाया। कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री शिंदे पर निशाना साधते हुए कथित तौर पर विवादित टिप्पणी की थी।

शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि कामरा के ‘पैरोडी’ गीत ने केवल 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे के विद्रोह की ओर इशारा किया था और यह ‘नई बोतल में पुरानी शराब’ थी, फिर भी उपमुख्यमंत्री के समर्थकों ने रविवार को मुंबई में एक स्टूडियो में तोड़फोड़ की।
 
इस बगावत के कारण शिवसेना में विभाजन हुआ और 2022 में राज्य में ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी सरकार गिर गई थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा से हाथ मिला लिया और नई सरकार बनाई।
 
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र में 40 विधायकों ने दलबदल किया, जिससे एक ‘असंवैधानिक’ सरकार का गठन हुआ। इसके मुताबिक, इस प्रकरण को व्यापक रूप से प्रचारित किया गया जिसकी परिणति उच्चतम न्यायालय में कानूनी लड़ाई के रूप में हुई।

मराठी प्रकाशन ने कहा, ‘‘राज्य भर में ‘खोके’ (धनबल का उपयोग) के नारे गूंजे। कुणाल कामरा ने इसे केवल एक पैरोडी गीत में दोहराया है, तो इसमें नया क्या है? यह ‘नई बोतल में पुरानी शराब’ है।’’

फिर भी शिंदे के समर्थक इतने उत्तेजित हो गए कि उन्होंने स्टूडियो (जहां कामरा का शो फिल्माया गया था) पर धावा बोल दिया। संपादकीय में दावा किया गया है, ‘‘इस प्रतिक्रिया ने न केवल शिंदे को शर्मिंदा किया, बल्कि उन्हें महाराष्ट्र में उपहास का विषय भी बना दिया। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और फडणवीस चुपचाप तमाशे का आनंद ले रहे हैं।’’

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सामना के मुताबिक, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र को इस ‘तमाशे’ में घसीटा गया है। मराठी दैनिक ने पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी के हालिया बयान को याद किया कि ‘‘आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है।’’

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘उनके शब्दों के गूंजने से पहले ही, मोदी समर्थक शिंदे समूह ने पॉडकास्ट स्टूडियो पर हमला किया और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर प्रहार है। कामरा के खिलाफ मौत की धमकियां दी गईं, जिससे महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।’’

इसमें सवाल किया गया है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री (फडणवीस) क्या कर रहे थे? जब मुंबई में अराजकता फैली तो पुलिस कहां थी? क्या वे मूकदर्शक थे, या इससे भी बदतर, इस कृत्य में सहभागी थे?

इसमें कहा गया है कि जैसे ही ‘मोदी समर्थक शिंदे समूह’ ने स्टूडियो में तोड़फोड़ की, मुंबई नगर निगम शीघ्रता के साथ बुलडोजर लेकर वहां पहुंचा और कई संरचनाओं को अवैध बताकर ढहा दिया। इसमें कहा गया है, ‘‘नगर निगम को इन उल्लंघनों का सुविधानुसार एहसास तब हुआ जब स्टूडियो का इस्तेमाल सरकार की आलोचना करने के लिए किया गया। महाराष्ट्र के लिहाज से तस्वीर बहुत खराब है।’’

संपादकीय में यह भी पूछा गया कि व्यंग्य पर इतनी ‘चरम प्रतिक्रिया’ क्यों होनी चाहिए और मुंबई में अराजकता और भय का माहौल क्यों बनाया जाना चाहिए। संपादकीय में दावा किया गया, ‘‘यह स्पष्ट हो गया है कि फडणवीस एक कमजोर गृह मंत्री हैं। स्टूडियो पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, वह कामरा से शिंदे से माफी मांगने के लिए कह रहे हैं, जो अनिवार्य रूप से इस बात को रेखांकित करता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौजूद नहीं है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘विडंबना यह है कि फडणवीस के पिता ने आपातकाल के दौरान (तत्कालीन प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और जेल गए थे।’’

मराठी प्रकाशन ने कहा कि भाजपा नेता 26 जून को आपातकाल की याद में ‘काला दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘यदि वे असहमति को दबाना जारी रखते हैं, तो उन्हें 26 जून को काला दिवस मनाने का दिखावा बंद कर देना चाहिए।’’ शिंदे के समर्थकों पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा गया कि उन्होंने कामरा को निशाना बनाया, लेकिन (पत्रकार) प्रशांत कोरटकर पर चुप रहे जिसने कथित तौर पर छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे को बदनाम किया।

मराठी दैनिक ने पूछा, ‘‘क्या भाजपा ने शिवाजी महाराज का अपमान करने के लिए कोरटकर को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दे रखी है?’’

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TAGS: Kunal Kamra, Samna, Eknath Shinde, BJP, Shivsena, Kamra controversy
OUTLOOK 26 March, 2025
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