केरल हाईकोर्ट का आदेश, "पुलिस 14 दिसंबर तक राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे"
केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वह उन दो आपराधिक मामलों में केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के खिलाफ 14 दिसंबर तक कोई दंडात्मक कदम न उठाए, जिनमें उनके खिलाफ विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देने वाले वक्तव्य का आरोप दर्ज है।
कोच्चि के एक कन्वेंशन सेंटर में ईसाई धर्म के समूह ‘यहोवा के साक्षियों’ की प्रार्थना सभा के दौरान हुए धमाकों के बाद चंद्रशेखर द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए कथित विवादास्पद पोस्ट को लेकर पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। न्यायमूर्ति सीएस डायस ने प्राथमिकी रद्द करने संबंधी चंद्रशेखर की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दोनों मामलों में जवाब तलब किया।
अदालत ने केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के डिजिटल मीडिया संयोजक पी. सरीन को भी नोटिस जारी किया और मामले में उनका रुख पूछा। सरीन की शिकायत पर ही एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। धमाकों की खबर आने के ठीक बाद चंद्रशेखर ने फेसबुक पर पोस्ट किया था, ‘‘कांग्रेस और माकपा की तुष्टीकरण की राजनीति की कीमत हमेशा सभी समुदायों के निर्दोषों को भुगतनी पड़ेगी – इतिहास ने हमें यही सिखाया है। निर्लज्ज तुष्टीकरण की राजनीति, यहां तक कि बेशर्म कांग्रेस/माकपा/संप्रग/आईएनडीआई गठबंधन भी केरल में नफरत फैलाने और ‘जिहाद’ का आह्वान करने के लिए आतंकवादी हमास को आमंत्रित करते हैं।’’
इसके बाद केरल पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 और 153ए तथा केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(ओ) के तहत मामले दर्ज किए। उच्च न्यायालय ने दोनों मामलों को 14 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और पुलिस को तब तक चंद्रशेखर के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया।