Advertisement
01 August 2024

मराठा समुदाय में बेतहाशा पिछड़ापन, मिलना चाहिए आरक्षण: एमएससीबीसी

महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएससीबीसी) ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा है कि मराठा समुदाय के लोगों में “असाधारण पिछड़ापन” है और पूरे समुदाय को नीची नजर से देखा जाता है, इसलिए वे शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के हकदार हैं।

आयोग ने मराठा समुदाय के लोगों को दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं के जवाब में उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 26 जुलाई को एक हलफनामा दायर किया। इसमें यह भी कहा गया कि है सामान्य वर्ग के लोगों की आत्महत्याओं के 10 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, खुदकुशी करने वाले 94 प्रतिशत से अधिक लोग मराठा समुदाय के थे।

महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष फरवरी में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था। याचिकाओं में आयोग की उन सिफारिशों को भी चुनौती दी गई है, जिनके आधार पर यह निर्णय लिया गया था।

Advertisement

हलफनामे में आयोग ने कहा कि उसने परिणात्मक शोध अध्ययन किया तथा पिछली समितियों की रिपोर्टों और सिफारिशों का भी अध्ययन किया था।

हलफनामे में कहा गया है, “अध्ययन से पता चला है कि राज्य में मराठा समुदाय को नीची नजर से देखा जा रहा है। यह पाया गया कि मराठा समुदाय में असाधारण पिछड़ापन है।”

इसमें कहा गया है कि पिछड़ेपन को असाधारण और सामान्य से परे माना जाना चाहिए क्योंकि भारत जैसे उच्च आर्थिक विकास वाले समाज में सामान्य प्रवृत्ति सभी पहलुओं में प्रगतिशील होना होती है, लेकिन मराठा समुदाय के मामले में ऐसा नहीं है।

आयोग ने कहा, "मौजूदा प्रगतिशील आर्थिक परिस्थितियों के विपरीत, मराठों की दयनीय आर्थिक स्थिति उनके असामान्य और असाधारण आर्थिक पिछड़ेपन को दर्शाती है।"

हलफनामे में दावा किया गया है कि उसके आंकड़ों से पता चलता है कि मराठा समुदाय को मुख्यधारा के समाज के अंधेरे छोर पर धकेल दिया गया है, और अब इसे किसी भी वास्तविक अर्थ में समाज की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं माना जा सकता है।

आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि किसी राज्य में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा “केवल निर्देशात्मक है, अनिवार्य नहीं” और यह सामान्य मानदंड हो सकता है।

आयोग ने कहा, “हालांकि, असाधारण या असामान्य परिस्थितियों में, 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने पर कोई रोक नहीं है।” हलफनामे में कहा गया है, “मराठा समुदाय के बीच आत्महत्याओं की अत्यधिक घटनाओं के बारे में आंकड़ों से भी पता चला है, जो अत्यधिक अवसाद और हताशा का संकेत हैं।”

हलफनामे में दावा किया गया है कि मराठों समेत सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा की गई आत्महत्याओं के 10 वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि आत्महत्या करने वाले केवल 5.18 प्रतिशत लोग गैर-मराठा सामान्य वर्ग से थे और अधिकांश लोग, यानी 94.11 प्रतिशत मराठा समुदाय से थे।

आयोग के अनुसार 2018 से 2023 तक, अन्य श्रेणियों के किसानों की तुलना में आत्महत्या करने वाले मराठा किसानों का प्रतिशत अधिक था। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के लिए आत्महत्या अंतिम कदम होता है, जिसे कोई व्यक्ति तब तक नहीं उठाना चाहेगा जब तक कि उसे सामाजिक व्यवस्था में अपनी स्थिति सुधारने के अवसरों की कमी से उत्पन्न चिंताजनक स्थिति से बाहर आने का कोई रास्ता न दिखाई दे।

मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय, न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पूर्ण पीठ पांच अगस्त को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Maratha reservation, MSCBC, Maratha reservation protest, Maharashtra
OUTLOOK 01 August, 2024
Advertisement