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28 June 2025

प्राडा ने चुराया 'कोल्हापुरी' चप्पल का डिजाइन? विवाद के बाद कंपनी ने तोड़ी चुप्पी

इतालवी लक्जरी फैशन ब्रांड प्राडा ने अपने स्प्रिंग/समर 2026 पुरुष संग्रह में कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित जूतों को शामिल करने को लेकर शुरू हुए विवाद पर शनिवार, 28 जून 2025 को चुप्पी तोड़ी। मिलान फैशन वीक में 22 जून को पेश किए गए खुले पैर के चमड़े के सैंडल्स को कोल्हापुरी चप्पल से मिलता-जुलता पाया गया, जिसके बाद भारत में सांस्कृतिक चोरी और बौद्धिक संपदा हनन के आरोप लगे। प्राडा ने एक आधिकारिक बयान में स्वीकार किया, "हम मानते हैं कि हाल के पुरुष 2026 फैशन शो में प्रदर्शित सैंडल्स पारंपरिक भारतीय हस्तशिल्प जूतों से प्रेरित हैं, जिनकी सैकड़ों साल पुरानी विरासत है।" ब्रांड ने कहा कि यह डिज़ाइन भारतीय कारीगरी का सम्मान करने के लिए बनाया गया, लेकिन इसे बिना उचित सहमति के पेश करने पर खेद जताया।

कोल्हापुरी चप्पल, जो महाराष्ट्र के कोल्हापुर और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बनती है, को 2019 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिला है, जो इसकी अनूठी पहचान और पारंपरिक कारीगरी को संरक्षण देता है। स्थानीय कारीगरों और संगठनों ने प्राडा पर आरोप लगाया कि उसने उनकी बौद्धिक संपदा का दुरुपयोग किया और बिना अनुमति डिज़ाइन कॉपी किया। महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स ने प्राडा को पत्र लिखकर इस मामले में माफी और कारीगरों के साथ सहयोग की मांग की। प्राडा ने जवाब में कहा कि वे भारतीय कारीगरों से संवाद के लिए तैयार हैं और भविष्य में ऐसी परियोजनाओं में स्थानीय समुदायों को शामिल करेंगे।

हालांकि, कई कारीगरों ने इसे अपर्याप्त माना और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। कोल्हापुर के एक वरिष्ठ कारीगर, रमेश पाटिल, ने कहा, "हमारी पीढ़ियों की मेहनत को विदेशी ब्रांड बिना श्रेय दिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर प्राडा माफी नहीं मांगता, तो हम अदालत जाएंगे।" सोशल मीडिया पर #SaveKolhapuriChappal और #CulturalTheft जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, और भारतीय यूजर्स ने प्राडा के खिलाफ बहिष्कार की बात कही है।

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विवाद के बीच, फैशन विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को स्थानीय संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और सहयोग के जरिए डिज़ाइन को बढ़ावा देना चाहिए। प्राडा की यह पहली ऐसी घटना नहीं है; पहले भी उसने पारंपरिक डिज़ाइनों को लेकर आलोचना झेली है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है और GI टैग नियमों के उल्लंघन की संभावना तलाशी जा रही है। प्राडा ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या वह डिज़ाइन से कोल्हापुरी प्रभाव हटाएगा या कारीगरों को रॉयल्टी देगा। यह मामला भारतीय हस्तशिल्प और वैश्विक फैशन उद्योग के बीच संतुलन का सवाल बन गया है।

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TAGS: Prada, Kolhapuri chappals, cultural theft, Milan Fashion Week, GI tag, Indian artisans, legal action, Commerce Ministry
OUTLOOK 28 June, 2025
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