वन्यजीव केंद्र ‘वनतारा’ की मुश्किलें बढीं! कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में स्थित रिलायंस फाउंडेशन के वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र वनतारा की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया। इस SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जे चेलमेश्वर करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT को निर्देश दिया है कि वह केंद्र के संचालन और गतिविधियों की गहन जांच करे और रिपोर्ट प्रस्तुत करे। जांच में विशेष रूप से भारत और विदेश से जानवरों, खासकर हाथियों, के अधिग्रहण और वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1972 तथा चिड़ियाघरों के नियमों का पालन शामिल होगा।
इस मामले में जस्टिस पंकज मित्तल और पी बी वराले की पीठ ने दो PIL पर यह SIT गठित करने का निर्देश दिया है। पहला PIL वकील सी आर जया सुकीन द्वारा दायर किया गया था और दूसरा Dev Sharma नामक याचिकाकर्ता ने दायर किया था। PIL हाथी महादेवी के कोल्हापुर के एक मंदिर से जुलाई में वनतारा स्थानांतरण के बाद सामने आए विवाद के मद्देनजर दायर किए गए थे।
SIT में पूर्व उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और अतिरिक्त आयुक्त कस्टम्स अनीश गुप्ता भी शामिल होंगे। कोर्ट ने SIT को निर्देश दिया है कि वह अपनी जांच “तत्काल” शुरू करे और 12 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपे।
जांच में CITES (इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑन ट्रेड ऑफ एंडेंजरड स्पीसीज ऑफ फ्लोरा एंड फौना) का अनुपालन, विदेशी और घरेलू जानवरों के आयात/निर्यात कानूनों का पालन, पशुपालन और पशु कल्याण मानकों, मृत्यु दर और कारणों की जांच भी शामिल होगी।
इसके अलावा SIT को जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग, निजी संग्रह, प्रजनन और संरक्षण कार्यक्रम, जैव विविधता संसाधनों के उपयोग, पशु तस्करी और वित्तीय नियमों का पालन, मनी लॉन्ड्रिंग जैसी शिकायतों की भी जांच करनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने SIT को वनतारा का भौतिक सत्यापन और निरीक्षण करने का निर्देश दिया है और गुजरात के वन विभाग के सचिव को SIT को पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
इस कदम से वन्यजीव संरक्षण और केंद्र के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।