कैप्टन अमरिंदर ने किसानों को मोदी की दया पर छोड़ा: शिरोमणि अकाली दल
शिरोमणी अकाली दल ने कहा है कि पंजाब विधानसभा में कल पारित विधेयकों से किसानों को मोदी की दया पर छोड़ दिया है।अकाली नेता और पूर्व राजस्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा है कि यह सब राज्य और केंद्र सरकारों के बीच किसानों के मामले पर कार्रवाई न करने की साजिश है।
मजीठिया ने कहा है कि जिस विधेयकों को कल लाया गया तथा पारित किया वह स्पष्ट रूप से मोदी-कैप्टन की जोड़ी द्वारा राज्य द्वारा फसल की खरीद की जिम्मेदारी केंद्र पर फेंककर किसानों को तबाह करने के लिए किया गया चालाकी भरा कदम है।
मजीठिया ने साधु सिंह धर्मसोत को दी गई क्लीन चिट की भी निंदा की है और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की ‘कोर्ट की निगरानी’ में जांच की मांग की है क्योंकि इससे गरीब, सामाजिक और आर्थिक रूप से शोषित परिवारों से जुड़े हमारे बच्चों के भविष्य पर गहरा असर पड़ता है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा गए ब्यान कि पंजाब में राष्ट्रपति शासन के लिए तैयार रहें पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मजीठिया ने कहा कि क्या आप गंभीरता से चाहते हैं कि हम यह विश्वास करें कि पंजाब में पहले से ही राष्ट्रपति शासन नही है? अकाली नेता ने पूछा कि क्या राज्य सरकार के पास अपने किसानों की रक्षा के लिए एक विधेयक लाने के साहस की कमी है, जिसमें राष्ट्रपति की मंजूरी यां दूसरे शब्दों में मोदी की मंजूरी की आवश्यकता नही होती?
कैप्टन अमरिंदर सिंह तो पंजाब में पहले से ही लागू राष्ट्रपति शासन को कवर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होने कहा कि पंजाब में यह हर कोई जानता है कि मोदी से मंजूरी लिए बिना उनकी सरकार का एक पत्ता तक नही हिलता है, यह बिल तो सिर्फ एक अन्य उदारहण मात्र है।
मजीठिया ने कहा कि विधानसभा सैशन केवल दो उद्देश्यों से बुलाया गया था और दोनों पर किसानों की पीठ में छूरा घोंपा गया था। पहला उद्देश्य केंद्र के काले कानूनों को अस्वीकार करना था , जबकि दूसरा था पूरे राज्य को सरकारी यार्ड घोषित करके पंजाब में इन कानूनों को निष्फल और गैर- कार्यान्वित करन
मजीठिया ने कहा कि इन दोनों उददेश्यों को यह कहकर बुरी तरह से नाकाम किया गया कि इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है यां दूसरे शब्दों में केंद्र की सहमति , जिसने पहले ही किसानों के खिलाफ काले कानूनों को लागू कर दिया है।
अकाली नेता ने कहा कि पीछे मुड़कर देंखें तो यह स्पष्ट था कि कल विधेयकों को मंजूरी नही दी गई थी बल्कि दिल्ली में संसद के विधेयक की तरह तैयार किया गया जिसमें राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता की जरूरत होगी।
मजीठिया ने कहा कि कैप्टन और भाजपा सिर्फ एक दूसरे की पीठ थपथपा रहे हैं क्योंकि दोनों में पंजाब में बड़े पैमाने पर नकारात्मकता एक समान है। कैप्टन ने मोदी को चुना है और उसके साथ मिलकर पंजाब के किसानों की पीठ में छूरा घोंपा है तथा पंजाब के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है इसके लिए इतिहास उन्हे कभी माफ नही करेगा।
पूर्व मंत्री ने कहा कि कल विधानसभा में विधेयकों का समर्थन करने का एकमात्र कारण किसानों के साथ एकजुटता दिखाना था।
मजीठिया ने कहा कि कैप्टन ने जानबूझकर इस विधेयकों को समवर्ती सूची में प्रावधानों के तहत लाया गया था जिसमें ससंद की राज्य विधानमंडल से ज्यादा शक्तियां थी।
यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य सूची का उपयोग करते हुए विधेयकों को लाए होते तो राष्ट्रपति की मजंूरी की आवश्यकता नही होनी थी। लेकिन केंद्र इस तरह से नही चाहता था और कैप्टन ने मोदी को न कहने का साहस नही किया। सरदार मजीठिया ने कहा कि उनकी वाहवाही केवल यहां दिखावे के लिए है। अमरिंदर इतना छोटा नही है कि उसे यह नही पता कि राष्ट्रपति इस विधेयक को कभी मंजूरी नही देंगे। उन्होने सत्र से कुछ दिन पहले ही स्वयं खटकड़कलां में यह स्वीकार किया था फिर उन्होने राज्य सूची मार्ग क्यों नही अपनाया?
अकाली नेता ने कहा कि इस विधेयक ने किसानों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे उनकी बिक्री अमान्य होगी। यदि खरीददार पीछे हटता है तो वे भुगतान का दावा नही कर सकते। इस खतरनाक क्लॉज का असर दिनों में ही साफ दिखना शुरू हो जाएगा। सरदार मजीठिया ने पूछा कि अगर प्राईवेट कॉरपोरेट और केंद्र के लोग न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल नही खरीदेंगें तो राज्य सरकार किसानों की कैसे मदद करेगी? क्या राज्य सरकार इसकी खरीद पर कोई गारंटी देगी, सत्र बुलाने का यह बहुत बड़ा कारण था।