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16 December 2023

पंजाब: डरावने ड्रग्स पर महज ‘ड्रामा’

अबोहर जिले में गांव तेलूपुरा के दो सगे भाई 15 नवंबर की रात एक साथ नशे की भेंट चढ़ गए। 25 साल के राहुल और 26 साल के सुशील के पिता ओमप्रकाश के मुताबिक उनके दोनों बेटों की मौत नशे की ओवरडोज के कारण हुई। वे पिछले दस साल से नशे के आदी थे और अबोहर सिविल अस्पताल से उनका इलाज चल रहा था। ‘उड़ते पंजाब’ में मौत के आंकड़े डरावनी हदें लांघने लगे हैं, मगर तकरीबन दो दशक से हर सरकार के लिए ये आंकड़े बस सियासी बिसात बिछाने के प्यादे बनकर रह गए हैं। हर आती सरकार नशामुक्ति के वादे-दर-वादे करती गई, लेकिन न नशा से पिंड छूटा, न मौत के आंकड़ों की रफ्तार घटी।

हालात कितने डरावने हैं, यह राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़े गवाह हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में ड्रग्स ओवरडोज की वजह से सबसे ज्यादा 144 मौतें पंजाब हुईं। दूसरे नंबर पर राजस्‍थान में 117 मौतें और उसके बाद मध्य प्रदेश में 74 मौतें दर्ज की गईं। बेहद प्रतिष्ठित पीजीआइ चंडीगढ़ के अध्ययन में पाया गया कि पंजाब में 14.7 फीसदी (31 लाख) आबादी किसी न किसी नशे की चपेट में है। सभी 22 जिलों में किए गए सर्वे में सबसे ज्यादा मानसा जिले की 39 फीसदी आबादी नशे की गिरफ्त में है। 78 फीसदी लोग ड्रग्स डीलरों से नशा खरीदते हैं और 22 फीसदी दवा की दुकानों से। माझा और दोआबा हलके के अमृतसर, तरनतारन, होशियारपुर, जालंधर, गुरदासपुर के अलावा मालवा के फिरोजपुर, बठिंडा, फरीदकोट और लुधियाना में नशे का शिकार हुए लोगों के पोस्टमॉर्टम में केमिकल्स की जांच की गई। नशे की भेंट चढ़े अधिकतर लोगों की सरकारी अस्पतालों में हुई पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में पाया गया कि 90 फीसदी मृतक 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के थे। कुछ मिसालें देखिए।

नशे में एक ही परिवार ने 5 सदस्य खोए: पिछले दो दशक में पिता समेत परिवार के पांच सदस्य खोने वाले मुक्तसर के गुज्जर रोड के राजिंदर सिंह बिंदा के मुताबिक 1998 में 38 वर्ष की उम्र में नशे में जान खोने वाले उनके पिता परिवार के पहले सदस्य थे। एक साल बाद उनके मामा की भी नशे की वजह से मौत हुई। 2010 में पहले चाचा और 2014 में दूसरे चाचा की भी नशे की गिरफ्त में आने से मौत हो गई। 2013 में 32 साल का चचेरा भाई भी नशे की भेंंट चढ़ गया। एक के बाद एक नशे की भेंंट चढ़े एक परिवार के पांच सदस्यों की दर्दभरी दांस्ता बयां करते हुए बिंदा ने कहा कि नशे में जान गवाने वाले परिवार के सदस्यों की गलती का खमियाजा अभी तक भुगतना पड़ रहा है। भुक्की और अफीम के नशे की लत में पिता ने सारी जमीन बेच डाली। नौबत यहां तक आ गई कि आज राजिंदर सिंह बिंदा ट्रक ड्राइवरी करके अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहा है। पांच सदस्य खोने वाले बिंदा परिवार के बाकी सदस्य आज शराब के नशे से भी दूर हैं।

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एक माह में दो बेटे खोए, तीसरा भी नशेड़ी: 13 अगस्त को मुक्तसर जिले के फतूहीवाला और सिंघेवाला गांवों की नशा विरोधी समिति ने सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकाला क्योंकि फतूहीवाला की विधवा चरणजीत कौर (40 वर्ष) ने अपने दो बेटों  चानन सिंह (21 वर्ष) और जसविंदर सिंह (19 वर्ष) को एक महीने के भीतर नशीली दवाओं के अत्यधिक सेवन के कारण खो दिया था। तीसरे सबसे छोटे बेटे (17 वर्ष) को भी खोने का खाफ है क्योंकि वह भी नशीली दवाओं का सेवन करता है।

एक रैली में मृत परिजनों की तस्वीर दिखाती महिला

एक रैली में मृत परिजनों की तस्वीर दिखाती महिला

. सिर्फ 3 गांव नशामुक्त घोषित: पंजाब के 12581 गांवों में से सिर्फ तीन गांव अभी तक नशामुक्त घोषित हुए हैं। तरनतारन पंजाब का ऐसा पहला जिला बन गया है जिसके तीन गांव मस्तगढ़, मनावा और कलंजर पूरी तरह से नशामुक्त हो गए हैं। ये गांव पूरे राज्य के लिए रोल मॉडल हैं।

अब जरा सियासत का नजारा देखिए। दो दशक से पंजाब में ड्रग्स पर सियासी ड्रॉमा जारी है। चुनावी मैदान सजने से पहले हर सियासी दल ‘उड़ते पंजाब पर सवार’ होकर सत्ता के द्वार तक पहुंचने की जुगत भिड़ाता रहा है। उनके लिए नशामुक्ति एक तरह से ‘ईवेंट’ बनकर रह गई है। सरकार से लेकर गैर-सरकारी संगठन, पुलिस-प्रशासन सब नशामुक्ति आयोजनों में जुटे हैं। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, भाजपा जैसी रिवायती पार्टियों की जगह 20 महीने पहले सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार भी नशे के मोर्चे पर पहले की सरकारों की तरह ही ‘ईवेंट’ दोहरा रही है। विपक्ष नशाखोरों और नशे के सौदागरों पर उसकी पुलिसिया कार्रवाई को उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं पर बदले की भावना से की गई कार्रवाई बता रहा है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब को 15 अगस्त 2024 तक नशामुक्त राज्य बनाने के लिए 18 अक्टूबर को सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब अमृतसर में अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ सामूहिक अरदास ‘प्रे, प्लैज, प्ले’ की। शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने आउटलुक से कहा, ‘‘मां की सौगंध खाने वाले भगवंत मान ने क्या खुद नशा छोड़ा है? 20 महीने में ही सरकार ने नशा शिखर पर पहुंचा दिया है। अरविंद केजरीवाल ने एक दिन में पंजाब से नशे का खात्मा करने का दावा किया था, आज उसी केजरीवाल की पार्टी के विधायकों की शह पर सरेआम ड्रग्स की होम डिलीवरी हो रही है।’’ 

सरकार की कार्रवाई

इससे पहले 16 मार्च 2022 को शहीद भगत सिंह की जन्मस्थली खटकड़कलां में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही भगवंत मान ने पंजाब को नशामुक्त करने की शपथ ली थी। आम आदमी पार्टी ने 10 दिन में नशा खत्म करने की गारंटी दी थी। दो साल होने को आए, मगर सामूहिक शपथ ही हासिल है। मान के गृह जिले संगरूर में सरकारी स्कूली बच्चों के ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें बच्चे घरों से लाई पानी की बोतलों में शराब भर कर ले जाते थे।

मिशन 2024 के लिए भाजपा सभी 117 विधानसभा हलकों में ‘नशामुक्त पंजाब’ रैलियां करने की तैयारी में है। शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। तीन दशक तक शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में सरकार का हिस्सा रही भाजपा को अब पंजाब नशामुक्त करने की सूझी। नशे को मुद्दा बनाने वाले भाजपाई चेहरे वही हैं जो पहले कांग्रेस में रहते कुछ नहीं कर पाए। अप्रैल 2017 में कांग्रेस शासन के दौरान स्पेशल टास्क फोर्स के गठन के बाद आई तीन सरकारों के प्रयासों के बावजूद नशे पर अंकुश के वांछित परिणाम नहीं मिले।

2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में नशे को सबसे बड़ा सियासी मुद्दा बनाकर कुर्सी तक पहुंचने वाले हुक्मरानों के सिर सत्ता का नशा चढ़ते ही मुद्दा हाशिये पर रह गया। कांग्रेस की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार का चार हफ्ते में नशे के खात्मे का दावा भी कहीं नहीं टिका। चार हफ्ते में नशे के खात्मे के लिए गुटका साहिब की सौगंध खाने वाले अमरिंदर सिंह के तख्तापलट के बाद कांग्रेस की चरणजीत चन्नी सरकार भी नशे के दंश से बच नहीं पाई।  कैप्टन सरकार ने मिशन ‘तंदुरुस्त पंजाब’ की पहल अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के दिन जालंधर से की थी। सवा तीन लाख सरकारी मुलाजिमों, नई भर्तियों और प्रमोशन के लिए डोप टेस्ट का तुगलकी फरमान जारी हुआ तो पार्षदों, विधायकों, मंत्रियों से लेकर सांसदों तक में डोप टेस्ट कराने की होड़ लग गई।

उधर सीमा पार से हथियार और नशे पर अंकुश के लिए पंजाब पुलिस ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ मिलकर मार्च 2022 से लेकर अक्टूबर तक पाकिस्तान से पंजाब में नशीले पदार्थों, हथियारों और गोला-बारूद और नकली मुद्रा की खेप भेजने के लिए इस्तेमाल किए गए 65 ड्रोन बरामद किए हैं। सरकार का दावा है कि पंजाब पुलिस ने 5 जुलाई, 2022 से अब तक 3003 बड़ी मछलियों समेत 20979 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 15434 एफआइआर दर्ज की हैं, जिनमें 1864 एफआइआर बड़ी मात्रा में नशे के बरामदगी के बाद की गई है।

अबोहर जिले में दो सगे भाई साथ-साथ नशे के शिकार हो गए

अबोहर जिले में दो सगे भाई साथ-साथ नशे के शिकार हो गए

पंजाब पुलिस के आइजी (हेडक्वार्टर) सुखचैन सिंह गिल ने आउटलुक को बताया कि नशाग्रस्त इलाकों में घेराबंदी और तलाशी अभियान चलाकर 1510.55 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई है। इसके अलावा, पंजाब पुलिस ने गुजरात और महाराष्ट्र के बंदरगाहों से 147.5 किलो हेरोइन बरामद की है। पुलिस ने 924.29 किलो अफीम, 986.06 किलो गांजा, 470.91 क्विंटल भुक्की और 92.03 लाख नशे की गोलियां, कैप्सूल, इंजेक्शन बरामद किए हैं। तस्करों के कब्जे से 15.81 करोड़ रुपये बरामद हुए। 

गिल ने कहा, ‘‘पुलिस ने 111 बड़े तस्करों के 88.3 करोड़ रुपये की जब्त की जायदादों में सबसे ज्यादा जालंधर में 40.3 करोड़ रुपये, तरनतारन में 12.06 करोड़ और फिरोजपुर में 6.16 करोड़ रुपये की नशा तस्करों की जायदाद जब्त की है। एनडीपीएस मामलों में अभी तक 1111 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।’’ मामले तो दर्ज हुए, पर सरकार और पुलिस के पास बताने को यह आंकड़े नहीं हैं कि गिरफ्तारियों और दर्ज हुए मामलों में कितने ड्रग स्पलायर हैं और कितने खपतकार? ये आंकड़े सरकार के लिए अपनी पीठ थपथपाने भर को ही हैं, मगर नशा नहीं टूटा, जानें टूट रही हैं, परिवार बिखर रहे हैं।

कैसे टूटेगा नशा?

1. एनडीपीएस एक्ट कागजी कानून: नशे पर नकेल के लिए एनडीपीएस (नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांस) एक्ट केवल कागजी कानून साबित हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एनडीपीएस एक्ट में संशोधन की मांग की थी ताकि नशे के साथ पकड़े जाने वाले को फांसी की सजा दी जाए। फिलहाल पहली बार पकड़े जाने पर 10 साल की कैद और दूसरी बार पकड़े जाने पर फांसी की सजा का प्रावधान है मगर 29 वर्षों में देश भर में अभी तक एक भी फांसी नहीं हुई है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान

मार्च 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद नशे से 184 मौतें हुई हैं, जिनमें ड्रग तस्करों के खिलाफ आइपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफआइआर दर्ज की गई है। नशे से मौत के कई मामले दर्ज ही नहीं हो पाते हैं क्योंकि परिवार बिना पोस्टमार्टम या पुलिस को सूचना दिए बिना ही दाह-संस्कार कर देते हैं।

पंजाब में नशे के 14,000 से अधिक मामलों का अध्ययन करने वाले विध‌ि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, दिल्ली की नेहा सिंघल का कहना है, "एनडीपीएस एक्ट-1985 में साल 1989 से ही मौत की सजा का प्रावधान है। 34 साल से मौत की सजा के प्रावधान के बावजूद नशा तस्करी और इसके खपतकारों में कमी के बजाय चार गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।"

एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 27 के तहत ड्रग्स का खपतकार साबित होने पर अपराध माना जाना तय है। पुलिस द्वारा एक्ट के दुरुपयोग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। 28 सितंबर को पंजाब पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत कांग्रेस के भुलत्थ से विधायक सुखपाल खैहरा को गिरफ्तार किया। 2015 के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2023 में खैहरा को निचली कोर्ट द्वारा तलब किया जाना खारिज कर दिया था।

2. पुलिस की मिलीभगत:  नशीली दवाओं के कारोबार में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई तेज की है। 17 अप्रैल को मोगा के पूर्व एसएसपी राजजीत सिंह हुंदल को बर्खास्त कर दिया गया था जो ड्रग रैकेट और जबरन वसूली में कथित संलिप्तता के लिए अभी तक फरार हैं। एसएसपी हुंदल के अलावा 75 पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त किया गया है। उन 211 पुलिसकर्मियों और 272 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई जिन्होंने संबंधित अदालतों के समक्ष निर्धारित समयसीमा के भीतर ड्रग मामलों में चालान पेश नहीं किए जिससे ड्रग तस्करों को जमानत मिली।

3. इलाज के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं: पंजाब में 37 सरकारी व 96 निजी ड्रग्स डीएडिक्शन सेंटर हैं जबकि 22 सरकारी और 77 निजी  री-हेबिलिटेशन सेंटर्स हैं। गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर के सामाजिक अर्थशास्‍त्री प्रोफेसर रणजीत सिंह घुम्मन के मुताबिक, "पंजाब के 30 लाख से अधिक लोग किसी न किसी नशे की चपेट में हैं, सभी के इलाज के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। 16 से 40 की आयु वर्ग के लोग नशे के कारण नपुंसकता और एचआइवी का शिकार हैं और इसकी वजह से कइयों की शादियां-परिवार टूट रहे हैं। युवाओं पर गीत-संगीत का भी असर है। पारंपरिक पंजाबी गीत-संगीत के बजाय स्थानीय टीवी चैनल और एफएम रेडियो पर बजते पंजाबी रैप सरेआम शराब और दूसरे नशे को बढ़ावा दे रहे हैं। नशे के खिलाफ लड़ाई तेज करने को मदद के लिए सरकार ने गायकों को तलब किया पर नशा परोसने वाले गीत-संगीत प्रतिबंधित नहीं हुए"।

4. उपचार के लिए दवा भी कारगर नहीं : 2.65 लाख से अधिक रोगियों को सरकारी नशामुक्ति केंद्रों और ओओएटी क्लीनिकों में पंजीकृत किया गया है, जबकि 6.2 लाख से अधिक लोगों ने निजी नशामुक्ति केंद्रों में नामांकन कराया है। नशे के उपचार के लिए ओओएटी क्लीनिकों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली दवा बुप्रेनोरफिन कारगर साबित नहीं हो रही है क्योंकि बुप्रेनोरफिन अफीम की एक औषधीय दवा है जिसे ओपियोइड प्रतिस्थापन थेरेपी (ओएसटी) के तहत घर ले जाने वाली खुराक के रूप में दिया जा रहा है। 2017 से फरवरी 2023 तक सरकारी नशामुक्ति केंद्रों में 3,810 और निजी नशामुक्ति केंद्रों में केवल 296 मरीज ठीक हुए हैं।

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TAGS: Drug trade, Increasing, Punjab
OUTLOOK 16 December, 2023
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