आउटलुक हंसा रिसर्च: हरियाणा चुनाव में मोदी फैक्टर कितना कारगर होगा?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और इसी के साथ तैयारियों ने भी सरपट तेज़ी पकड़ ली है। भाजपा-कांग्रेस, आप-जजपा, सभी पार्टियों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी हुई है। हरियाणा के मतदाताओं की इसी दिलचस्पी और रुझान को मापने के लिए आउटलुक-हंसा रिसर्च ने लोगों से तमाम जरूरी सवालों पर बातचीत की। इस जनमत सर्वेक्षण से अंदाजा मिलता है कि अन्य पार्टियों से मिलने वाली चुनौतियों के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा तीसरी बार बेहद आरामदायक बहुमत की ओर बढ़ रही है। इस सर्वेक्षण में राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्र और अहम इलाकों में कुल 14,670 लोगों से बातचीत की गई, जिसमें पुरुष 8,802 और महिलाएं 5,868 हैं। विधानसभा चुनाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों पर जनता की प्रतिक्रिया कैसी रही, आइए जानते हैं:
विधानसभा की 90 सीटों पर कौनसी पार्टी बेहतर स्थिति में है?
आउटलुक-हंसा रिसर्च द्वारा प्रदेश के मतदाताओं से बात करने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि सत्तारूढ़ पार्टी के पास सत्ता पर बरकरार रहने का बहुत अच्छा मौका है। दरअसल जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य के विधानसभा चुनावों में 90 में से भाजपा को 50 सीटें मिलती दिख रही हैं। इसके अलावा, कांग्रेस को 28 सीटों के साथ संतोष करना पड़ सकता है। जबकि, 12 विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
आगामी चुनाव में मोदी फैक्टर का असर होगा?
लोकसभा विधानसभा चुनाव में हमेशा मोदी फैक्टर की बात ज़रूर होती है। हाल में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अब हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले फिर यही चर्चा छिड़ी है। बहरहाल, आउटलुक हंसा रिसर्च के अनुसार 37 प्रतिशत पुरुषों और 39 प्रतिशत महिलाओं का भी यही मानना है कि पीएम मोदी का रोल "काफी" रहने वाला है। 24 प्रतिशत पुरुष और 26 प्रतिशत महिलाएं समझती हैं कि मोदी फैक्टर "कुछ हद तक" ही काम करेगा जबकि 36 प्रतिशत पुरुष और 24 प्रतिशत महिलाएं इसे "ना के बराबर" मानती हैं। 4 प्रतिशत पुरुषों और 11 प्रतिशत पुरुषों ने इस सवाल पर किसी तरह की राय नहीं रखी। गौरतलब है कि सर्वेक्षण के हिसाब से कुल मिलाकर 37 प्रतिशत मतदाता मोदी फैक्टर को "काफी" मानते हैं। वहीं, 31 प्रतिशत लोग मानते हैं इसका "बिल्कुल असर नहीं" होगा तो 25 प्रतिशत जनता "कुछ हद तक" ही इसे स्वीकार करती है।
क्या 'आप' से अलग होकर चुनाव लड़ने का असर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वोटों पर पड़ेगा?
हरियाणा में हालिया लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने साथ मिलकर लड़ा था। अब दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को इससे नुकसान हो सकता है। अलबत्ता, आउटलुक हंसा सर्वेक्षण के मुताबिक 36 प्रतिशत मतदाता मानते हैं कि "कुछ हद तक" इसका प्रभाव पड़ेगा, जबकि 33 प्रतिशत लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। 24 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि इससे कांग्रेस के वोट शेयर पर बुरा असर पड़ेगा। बता दें कि शेष 8 प्रतिशत लोगों की इस बारे में कोई राय नहीं है।
पुरुष और महिलाओं के वोट शेयर की बात करें तो 23 प्रतिशत पुरुष और 25 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि "काफी हद तक कांग्रेस का वोट शेयर घटेगा" जबकि 34 प्रतिशत पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि "कुछ हद तक" की इसका प्रभाव सीमित रहेगा। वहीं, 39 प्रतिशत पुरुष और 23 प्रतिशत महिलाएं इस राय के साथ भी हैं कि "कांग्रेस के वोट शेयर पर बिलकुल असर नहीं" पड़ेगा। 14 प्रतिशत महिलाओं और 4 प्रतिशत पुरुषों का इस बारे में कोई पक्ष नहीं है।