आउटलुक हंसा रिसर्च: खट्टर की जगह सैनी, कैसा रहा दांव?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ीं और हर चौराहे-चौबारे पर लोगों में चर्चाएं भी तेज हो चली हैं। लोग, खासकर युवा और महिलाएं सारी संभावनाएं तौलती नजर आ रही हैं। लोगों की इसी दिलचस्पी और बदलते रुझान को मापने के लिए आउटलुक-हंसा रिसर्च ने लोगों से तमाम जरूरी सवालों पर बातचीत की, ताकि दो-टूक रुझानों का अंदाजा लगाया जा सके और नतीजों के बारे में मोटा अनुमान लगाया जा सके। इस जनमत सर्वेक्षण से अंदाजा मिलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा तीसरी बार बेहद आरामदायक बहुमत की ओर बढ़ रही है। विपक्ष चुनौती देता लग रहा है मगर उसके वोटों के बिखरने और मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का लाभ भाजपा को मिलता दिख रहा है। सरकार की खासकर कल्याण योजनाओं के प्रति महिलाओं में दिलचस्पी दिख रही है। इस सर्वेक्षण में राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्र और अहम इलाकों में कुल 14,670 लोगों से बातचीत की गई, जिसमें पुरुष 8,802 और महिलाएं 5,868 हैं। लोगों के चयन के लिए प्रतिष्ठित बेतरतीब नमूना प्रणाली का इस्तेमाल किया गया और धर्म, जाति, लिंग, वर्ग का विशेष ख्याल रखा गया। लोगों के रिस्पांस का औसत 6.1 से 7 के पैमाने पर है, जो काफी बेहतर माना जाता है। सर्वेक्षण में त्रुटि की गुंजाइश (+ -) 3 की है।
आगामी विधानसभा चुनावों में आपके अनुसार कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी?
सर्वेक्षण के अनुसार जनता से जब पार्टियों पर उनके विचार के बारे में पूछा गया तो भाजपा के पक्ष में 50 प्रतिशत पुरुषों जबकि 57 प्रतिशत महिलाओं ने जवाब दिया। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो सबसे पुरानी पार्टी को 46 प्रतिशत पुरुषों और 40 प्रतिशत महिलाओं ने चुना। वहीं 2-2 प्रतिशत पुरुषों, महिलाओं ने आम आदमी पार्टी जबकि एक-एक फीसदी ने जजपा के पक्ष में मतदान किया। आर्थिक और जातिगत, आदि सर्वेक्षण के आधार पर देखा जाए तो कुल 53 फीसदी लोग भाजपा, 44 प्रतिशत लोग कांग्रेस के साथ हैं। आम आदमी पार्टी और जजपा को क्रमशः दो प्रतिशत और एक प्रतिशत वोट नसीब हुए।
आपकी राय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाना कैसी पहल थी?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को हरियाणा की कमान सौंपना अधिकांश लोगों के लिए एक सरप्राईज रहा। लेकिन इस बारे में जानता क्या कहती है। आउटलुक हंसा रिसर्च से पता चला कि 43 फीसदी पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं इसे भाजपा का मास्टरस्ट्रोक मानती हैं। 8 प्रतिशत पुरुष और 10 प्रतिशत महिलाओं को यह "अच्छा जोखिम" प्रतीत होता है। लेकिन ऐसी भी धारणा है कि इस कदम से उन्हें चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसी कड़ी में 21 प्रतिशत पुरुषों और 19 प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि यह "भारी भूल" थी। हालांकि, 24 प्रतिशत पुरुष और 23 प्रतिशत महिलाएं इसे "ओबीसी" फैक्टर के लिए लाभकारी मानती हैं। इसमें 5 फीसदी पुरुष और 8 फीसदी महिलाएं ऐसी भी थीं, जिन्होंने अन्य को चुना। अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो, अलग अलग तौर तरीकों के सर्वेक्षण के बाद 41 प्रतिशत जनता ने इस कदम को "मास्टरस्ट्रोक", 23 प्रतिशत लोगों ने "ओबीसी फैक्टर", 20 प्रतिशत जनता ने "भारी भूल" बताया। जबकि, 9 प्रतिशत वोटरों ने इसे "अच्छे जोखिम" का नाम दिया और 6 प्रतिशत लोगों ने अन्य के ऑप्शन को चुना।
नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का मुख्य कारण क्या था?
आउटलुक हंसा रिसर्च के अनुसार, नायब सिंह सैनी का राज्य का पहला ओबीसी मुख्यमंत्री होना उनकी ताजपोशी का बड़ा कारण बना। गौरतलब है कि सैनी 2014 में विधायक और 2019 में सांसद चुने गए। ऐसे में 20 प्रतिशत पुरुषों और 24 प्रतिशत महिलाओं को उनके "जीतने की क्षमता" इसका अहम कारण दिखी। 25 फीसदी पुरुष, 30 फीसदी महिलाओं का कहना था कि भाजपा की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष और राज्य मंत्री के रूप में ट्रैक रिकॉर्ड ने उनके सीएम बनने का मार्ग प्रशस्त किया। 26 प्रतिशत पुरुषों और 32 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि नायब सिंह सैनी जनता के बीच एक स्वीकार्य चेहरा थे, जिस वजह से पार्टी को उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में संकोच नहीं हुआ।
विदित हो कि नायब सिंह सैनी हरियाणा के पहले ओबीसी मुख्यमंत्री बने। ऐसे में, 39 प्रतिशत पुरुषों और 33 प्रतिशत महिलाओं को उनकी नियुक्ति के पीछे यही ओबीसी फैक्टर सबसे बड़ा कारण नजर आया। 32 प्रतिशत पुरुषों और 36 प्रतिशत महिलाओं को लगा कि उनका लो प्रोफाइल स्वभाव और सबको साथ लेकर चलने की नीति उनके काम आई। वहीं, 7 प्रतिशत पुरुषों और 6 प्रतिशत महिलाओं ने अन्य दूसरे कारण भी चुने।