पंजाब: कोरोना के चलते स्कूल बंद, लेकिन हजारों की भीड़ जुटाने वाली राजनीतिक रैलियों पर पाबंदी क्यों नहीं
हरीश मानव
काेरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर पंजाब में जहां राज्य सरकार ने स्कूल बंद करा दिए हैं वहीं राजनीतिक दलों की रैलियां जारी हैं। पिछले 24 घंटे में राज्य में 1500 से अधिक काेरोना पॉजिटिव मामले सामने आए हैं अौर 20 लोगों की मौत हुई है बावजूद इसके इन रैलियों में जुटने वाली हजारों की भीड़ में ज्यादातर लोग बगैर मास्क के नजर आ रहे हैं। रविवार को जलालाबाद में बड़ी रैली करने वाले शिरोमणी अकाली दल(शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल की सोमवार को अमृतसर के खेमकरण में हुई रैली में भी भारी भीड़ जुटी। एक आेर सरकार ने जहां 8 शहरों मंे रात के क्फर्यू लगा दिए हैं और किसी सावजर्निक कार्यक्रम या निजी कार्यक्रम में 200 से अधिक लोगों की भीड़ जुटाने पर पाबंदी है वहीं रैलियों में हजारों की भीड़ जुटाने वाले नेताओं को इस पाबंदी से छूट है।
शिअद के सुखबीर बादल ने राज्य के सभी 117 विधानसभा हलकों में की जाने वाली रैलियों में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार घोषित करेंगे। रविवार को जलालाबाद से शुरु हुई पहली रैली मेंं सुखबीर ने खुद को जलालाबाद से उम्मीदवार घोषित किया वहीं सोमवार की रैली में खेमकरण से विरसा सिंह वल्टोहा को हजारांे समर्थकों की भीड़ मंे उम्मीदवार घोषित किया। काेरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन हजारों की भीड़ जुटाने वाली रैलियों को मंजूरी दे रहा है।
शिअद के अलावा आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान की इन दिनांे मालवा में हो रही रैलियाें के बाद अरविंद केजरीवाल की रैलियों की तैयारी है। शनिवार को सुखदेव सिंह ढींडसा की अगुआई वाले शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष जगराज सिंह की ताजपोशी के मौके पर पार्टी के सैंकड़ों कार्यकर्ता श्री गुरुद्वारा बीबी काहन कौर में पहुंचे। जहां करीब दो घंटे तक चली रैली में किसी के चेहरे पर न तो मास्क दिखाई दिए, न ही शारीरिक दूरी का पालन हुआ।
16 मार्च को कांग्रेस की कैप्टन सरकार की चौथी वर्षगांठ के बाद कांग्रेस भी पंजाब में बड़े पैमाने पर रैलियांे की तैयारी कर रही है। इधर कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर रविवार को मुख्य सचिव विन्नी महाजन की अध्यक्षता में जिला उपायुक्तों और जिला पुलिस प्रमुखों की बैठक में कोरोना पर अंकुश लगाने को सोशल डिस्टेंसिंग सख्ती से लागू कराने के निर्देेश िदए गए। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रशासनिक स्तर पर ऐसी सख्ती से संकेत है कि अगले कुछ ही दिनों में राजनीतिक रैलियों पर भी पाबंदी लग सकती है।
इधर कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर भले ही सरकार ने स्कूल बंद कर दिए हैं पर हकीकत मंे सरकार के इस आदेश का सरकारी स्कूलों ने ही पालन किया। राज्य के कई निजी स्कूलों में बच्चे सरकार के आदेशों के खिलाफ जा रहे हैं। राजनीतिक रैलियों में ही नहीं बल्कि बाजारों में भीड़ पर कोई नियंत्रण नहीं है।