अकाली दल का सवाल, कोटकपुरा मामले में गोली चलाने के आदेश एसडीएम ने दिए, फिर बादल से पूछताछ क्यों
चंडीगढ़, शिरोमणी अकाली दल ने कहा है कि कांग्रेस सरकार यहां उनके आवास पर पांच बार मुख्यमंत्री तथा पार्टी के सरपरस्त सरदार परकाश सिंह बादल से सवाल करने के लिए अनाधिकृत व्यक्ति को तैनात करके कोटकपुरा फायरिंग केस की एसआईटी जांच का फिर से राजनीतिकरण कर रही है। अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रो. चंदूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल तथा डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि एसआईटी द्वारा सरदार बादल से पूछताछ करने के साथ साथ अभियोजन के निदेशक को टीम का हिस्सा बनाने के लिए के लिए कांग्रेस सरकार इस पूरे मामले का राजनीतिकरण करने के लिए आमादा है। उन्होने कहा कि सेवानिवृत्त अधिकारी विजय सिंगला, जो कोई आधिकारिक पद नही रखते , को भी एसआईटी टीम का हिस्सा बनाया गया है तथा डीआईजी सुरजीत सिंह को नही लिया गया है। ‘ अभियोजन पक्ष तभी कदम उठाता है, जब चालान अदालत में पेश किया जाता है। पूर्व निदेशक अभियोजन को एसआईटी टीम का हिस्सा कैसे बनाया जा सकता है’ं। उन्होने इस बात पर जोर देते हुए पूछा कि एसआईब्ी सलाहकार बीआईएस चहल सहित मुख्यमंत्री के कैबिनेट के निर्देशों पर काम कर रही है।
महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि हालांकि सरदार परकाश सिंह बादल ने एसआईटी के साथ सहयोग किया , जैसा कि उन्होने सेहत ठीक न होने के बावजूद किया है, यह बेहद हैरानी की बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री पर धारा 307 आईपीसी के तहत दर्ज हत्या के मामले की पूछताछ की जा रही है। उन्होने कहा कि कोटकपुरा गोलीकांड, जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के आदेश पर हुई थी, जिसने पहले फायर करने के आदेश देने से पहले लाठी चार्ज तथा फिर पानी की बोछारों को इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। ‘ इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री से पूछताछ करने के बजाय संबंधित एसडीएम से पूछताछ की जानी चाहिए।
ग्रेवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार फायरिंग की घटना से एक रात पहले फरीदकोट डिप्टी कमिशन को उनके द्वारा कए गए फोन काॅल्स के मुददे पर सरदार बादल से पूछताछ करके अदालत की अवमानना की है। उन्होने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया था कि मुख्यमंत्री को डिप्टी कमिशनर को फोन करने का अधिकार है। उन्होने कहा कि ‘यह अजीब बात है कि एसआईटी अभी भी इस मुददे पर मुख्यमंत्री से सवाल कर रही है। अकाली नेता ने सवाल किया कि नए एसआईटी प्रमुख एल के यादव को एडीजीपी के रूप में रातों रात पदोन्नत किया गया था , ताकि 32 एडीजीपीज् को एसआईटी की जांच करने में सक्षम बनाया जा सके।
चंदूमाजरा तथा चीमा ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री तथा उनके चहेती पुलिस फोर्स शिरोमणी अकाली दल के प्रति दुराभाव से काम कर रहे जैसे कि पूर्व आईजी कुंवर विजय प्रताप द्वारा किया गया था। उन्होने कहा कि उच्च न्यायालय ने पूर्व पुलिस अधिकारी को जालसाजी के लिए जिम्मेदार ठहराने के साथ साथ कोटकपुरा गोलीकांड के मामले की राजनीति से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण जांच का पर्दाफाश किया था। ‘ उच्च न्यायालय ने भी माना कि कुंवर विजय प्रताप सिंह रिटायरमेंट के बाद ही उच्च पद की तैयारी कर रहे थे, जो तब साबित हो गया जब उन्होने आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए । कांग्रेस सरकार ने उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के बजाय कुंवर विजय प्रताप सिंह को समय से पहले सेवानिवृत्ति की अनुमति दे दी, जिससे यह साबित होता है कि कांग्रेस पार्टी और आप पार्टी दोनो ही शिरोमणी अकाली दल को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा थी।
अकाली नेताओं ने जोर देकर कहा कि अकाली दल बेअदबी के जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के साथ साथ मामले में सख्त सजा सुनिश्चित करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होने कहा कि अकाली दल किसी भी ऐसी जांच का विरोध करेगा जिसका राजनीतिकरण किया जाएगा, क्योंकि यह मामला गुरु नानक नाम लेवा संगत की भावनाओं से जुड़ा हुआ है।