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14 February 2024

मंदिर के मायने/हिमाचल प्रदेशः पालमपुर बैठक और राम मंदिर

अयोध्या में 22 जनवरी को देश ही नहीं, विश्व इतिहास में नया अध्याय लिखा गया है। 500 वर्षों के संघर्ष और लगभग सौ साल की लंबी मुकदमेबाजी के बाद अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। राम भारत की आध्यात्मिकता के पूज्य पुरुष हैं। विश्व भर में भारत की संस्कृति राम के नाम से ही गई। बहुत से देशों में भारतीय संस्कृति को लोग राम के नाम से पहचानते हैं। इंडोनेशिया, कंबोडिया जैसे देशों में रामलीलाएं होती हैं। थाईलैंड में हर राजा के नाम के आगे राम लिखा जाता है। वहां अयोध्या के नाम का एक नगर बसा है। मुझे थाईलैंड में यह सब कुछ देखने का सौभाग्य मिला था।

इतिहास की इस घटना में हिमाचल के पालमपुर का नाम भी अमर हो गया है। आज से 34 वर्ष पहले 9 से 11 जून 1989 को पालमपुर के रोटरी भवन में ही भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति में राम मंदिर का ऐतिहासिक प्रस्ताव पास हुआ था। मेरा सौभाग्य है कि मैं उस समय हिमाचल भाजपा का अध्यक्ष था। उससे पहले दिल्ली में एक बैठक हुई थी। उस समय हिमाचल प्रदेश के प्रभारी कृष्ण लाल शर्मा जी ने मुझसे कहा कि कार्यसमिति की 9-11 जून को ऐतिहासिक बैठक होगी और वे चाहते हैं कि वह बैठक देवभूमि हिमाचल के पालमपुर में हो। मैं यह सुनकर प्रसन्न तो हुआ लेकिन हैरान और चिंतित भी हो गया। छोटे-से हिमाचल का छोटा-सा पालमपुर और भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति की बैठक! इतने नेताओं को कहां ठहराएंगे। तब हवाई सेवा भी नहीं थी। पठानकोट रेलवे स्टेशन से सब नेताओं को लेकर पालमपुर आना होगा। तीन दिन की इस बैठक के लिए लाखों रुपये की व्यवस्था कैसे होगी। सारी बातें एकदम मेरे मन में घूम गईं। थोड़ी देर मैं चुप रहा। शर्मा जी ने फिर पूछा तो मैंने कहा, बहुत कठिन है लेकिन प्रभु राम का नाम लेकर आपके इस आग्रह को स्वीकार करता हूं।

पालमपुर आकर कार्यकर्ताओं से बात की। मैंने सभी जिलों के प्रमुख कार्यकर्ताओं को बुलाया और उन्हें कहा कि मैं दिल्ली में आप सबकी ओर से इस आग्रह को स्वीकार करके आया हूं। पूरे भारत में उन्होंने हिमाचल के पालमपुर को ही देवभूमि कह कर चुना। मैं पूरे जिले में घूमा। धन संग्रह की योजना बनाई। बैठक के प्रबंध के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाईं, जिम्मेदारियां दीं और चारों तरफ कार्यकर्ताओं में उत्साह आया। सारी व्यवस्था पूरी हो गई। सबसे कठिन काम था पठानकोट रेलवे स्टेशन पर प्रमुख नेताओं और सदस्यों का स्वागत करना, गाड़ी से उनको पालमपुर लाना। इस काम में पठानकोट के पार्टी कार्यकर्ताओं ने हमारा बहुत सहयोग दिया। मुझे खुशी है उस समय की प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी हमें पूरा सहयोग दिया। उस समय के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी से मिलकर मैंने बात की। उन्होंने पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। अपने यामिनी होटल में सदस्यों को ठहराया और प्रमुख नेताओं के परिधि गृह, विश्राम गृह और कृषि विश्वविद्यालय के विश्राम गृह में ठहरने की व्यवस्था की।

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बैठक के दूसरे दिन सभी कार्यसमिति के सदस्यों को अपने घर पर भोजन कराने की योजना बनाई। अटल जी से मैंने कहा, सबका भोजन मेरे घर में होगा और हम यहां पर परंपरागत कांगड़ी धाम के द्वारा आपको खाना खिलाएंगे और जमीन पर दरियां बिछा कर आप सबको नीचे बैठना होगा। खाना पत्तलों में खिलाएंगे। अटल जी ने मुस्कुरा कर स्वीकार किया।

आज भी मेरी आंखों में वह दृश्य घूम जाता है जब मेरे घर के आंगन में पंक्तियों में धरती पर बैठे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, विजयाराजे सिंधिया और देश भर के भाजपा के प्रमुख नेता भोजन का आनंद ले रहे थे। बाद में कुछ सदस्यों ने मुस्कुराते हुए कहा कि जीवन में पहली बार धरती पर भोजन किया, बड़ा आनंद आया। उसके बाद राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में जब भी जाता था, तो बहुत से सदस्य पालमपुर की कार्यसमिति और सबसे अधिक मेरे घर के आंगन में कांगड़ी धाम और उसके स्वाद को याद करते थे।

एक दिन प्रात:काल मैं बैठक के लिए तैयार हो रहा था। तभी सामने से दो कार्यकर्ता विजयाराजे सिंधिया जी को लेकर आते हुए दिखाई दिए। हैरान होकर दौड़ा, उनका स्वागत किया। पता लगा कि वे महाभारत सीरियल देखना चाहती थीं। उन्हें परिधि गृह में ठहराया था, जहां टीवी नहीं था। तब मेरे घर का रास्ता भी ऊंचा-नीचा और थोड़ा कच्चा था। परिवार के सभी सदस्य हैरान भी हुए और प्रसन्न भी हुए। दूसरे दिन की बैठक में आडवाणी जी ने राम मंदिर का प्रस्ताव प्रस्तुत किया, चर्चा हुई। आदरणीय अटल जी ने समर्थन करते हुए संक्षेप में कहा कि राम भारत की आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि उस प्रभु राम का मंदिर सैकड़ों वर्षों से भारत में नहीं बन पाया। भाजपा को आज यह संकल्प करना है कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता, हम चैन से नहीं बैठेंगे। प्रस्ताव में देश की जनता को सहयोग देने की अपील की गई थी। कुछ और नेताओं ने भी चर्चा में भाग लिया। मुझे लगता है कि इस संबंध में प्रमुख नेताओं में पहले ही कुछ बात हो चुकी थी। बड़े उत्साह से चर्चा हुई और प्रस्ताव पारित हो गया। राम भारत के आध्यात्मिक पुरुष तो हैं ही, राम भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रथम उद्घोषक भी हैं। हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद किसी नेता या किसी पार्टी ने नहीं दिया। हमारा सौभाग्य है कि इसकी प्रथम घोषणा प्रभु राम ने की थी। जब राम ने लंका जीत ली, रावण का वध हो गया, अयोध्या लौटने की तैयारी होने लगी तब लक्ष्मण राम के पास आकर कहने लगे, ‘भइया, लंका सोने की है, हम क्यों लौट रहे हैं, सोने की लंका में ही रहकर राज्य करते हैं।’ तब वाल्मीकि रामायण के अनुसार प्रभु राम ने कहा था, ‘अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी।’ (लक्ष्मण, लंका सोने की है लेकिन मुझे अच्छी नहीं लगती क्योंकि जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ होती है)

उस समय राम मंदिर बनाने के संबंध में जनता में बहुत चर्चा थी और विश्व हिंदू परिषद ने भी प्रबल जनमत जागृत किया था। बैठक के अंतिम दिन पालमपुर में जनसभा रखी थी। सभी प्रमुख नेताओं को भाषण करना था। सभा शुरू होने से पहले ही पालमपुर का प्रगति मैदान पूरी तरह से भर गया। बाद में लोग आते रहे। कुछ देर में ही पूरा बाजार नीचे तक भर गया। पालमपुर में इतनी बड़ी सभा न पहले कभी हुई थी और न ही उसके बाद हुई। कुछ दिन के बाद मैंने पालमपुर से शिमला तक 14 दिन की ऐतिहासिक पदयात्रा की। शिमला में बहुत बड़ी सभा हुई। अटल जी और सुषमा स्वराज जी सभा में आए। सभा का मैदान पूरा भर गया और छोटी पहा‌ड़ियों पर लोग खड़े हो गए। मुझे याद है सुषमा स्वराज जी ने अपने भाषण में कहा था, ‘‘मैंने वृक्षों के पहाड़ तो देखे थे परंतु इस प्रकार के मनुष्यों से भरे हुए पहाड़ जीवन में पहली बार देख रही हूं।’’ अटल जी ने कहा, ‘‘हिमाचल में आने वाले चुनावों के लिए इतना प्रबल उत्साह है कि मुझे लगता है भाजपा की सरकार तो बन गई है, केवल वोटों की गिनती बाकी है। शांता कुमार मुख्यमंत्री को पूरी बधाई उसके बाद दूंगा।’’

हिमाचल के इतिहास में 1990 की इतनी प्रबल जीत आज तक किसी पार्टी को नहीं मिली। जनता दल के साथ समझौते में हमने 51 सीटें लड़ी थीं, जिसमें 46 जीतीं। केवल पांच प्रत्याशी हारे। 22 जनवरी को हिमाचल प्रदेश के लाखों भाई-बहनों ने अपने-अपने घरों में दीप जला कर प्रभु राम को याद किया। अयोध्या के ऐतिहासिक उत्सव का दृश्य सबकी आंखों में झलक उठा।

(भाजपा के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री )

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TAGS: Historic proposal, ram temple, 1989 BJP Working Committee, palampur
OUTLOOK 14 February, 2024
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