अलास्का बैठक पर पुतिन ने पीएम मोदी को किया ब्रीफ, इन बातों पर हुई चर्चा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अलास्का में हुई अपनी बैठक की जानकारी साझा की। इस वार्ता में यूक्रेन युद्ध की स्थिति, वैश्विक शांति प्रयासों और भारत-रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने पर चर्चा हुई।
यह दूसरी बार है जब पुतिन ने बीते दो हफ्तों में प्रधानमंत्री मोदी से सीधे बातचीत की। इससे पहले 8 अगस्त को हुई फोन वार्ता में भी पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष से जुड़े ताज़ा घटनाक्रमों पर जानकारी दी थी।
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस वार्ता से पहले एक बयान जारी कर कहा था कि भारत अलास्का में राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता का स्वागत करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “शांति की दिशा में दोनों नेताओं की नेतृत्व क्षमता सराहनीय है। भारत वार्ता में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। पूरी दुनिया यूक्रेन संघर्ष का शीघ्र अंत चाहती है।”
गौरतलब है कि शुक्रवार को पुतिन और ट्रम्प के बीच अलास्का में करीब तीन घंटे लंबी वार्ता हुई थी। हालांकि, इस बैठक में युद्धविराम पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। यूक्रेन में अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है और व्यापक पैमाने पर विनाश हुआ है।
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सोमवार को वॉशिंगटन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और कई यूरोपीय नेताओं से मिलने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की से कहा है कि वे रूस के साथ शांति समझौते को स्वीकार करें। उनका दावा है कि वे “युद्ध को तुरंत समाप्त करने की शक्ति रखते हैं” लेकिन यदि समझौता नहीं होता तो संघर्ष और लंबा खिंच सकता है।
ट्रम्प ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 2014 में रूस द्वारा कब्जा किए गए क्रीमिया को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता और यूक्रेन की नाटो (NATO) सदस्यता भी फिलहाल संभव नहीं है। रूस लंबे समय से इन मुद्दों पर सख्त विरोध जताता आया है।
भारत ने एक बार फिर यह दोहराया है कि वह किसी भी संघर्ष का समाधान केवल संवाद और शांति-प्रधान उपायों के जरिए चाहता है। पुतिन और मोदी के बीच हुई यह वार्ता न केवल वैश्विक तनावपूर्ण हालात में भारत की संतुलित भूमिका को दर्शाती है बल्कि भारत-रूस संबंधों की गहराई और भविष्य की दिशा को भी मजबूत करती है।