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24 August 2022

सिद्दीकी कप्पन ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का किया रुख, आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने का है आरोप

PTI

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को अक्टूबर 2020 में हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था, जहां कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद एक युवा दलित महिला की मौत हो गई थी। अब इन्होंने इस मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस महीने की शुरुआत में कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिस पर कथित हाथरस साजिश मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया गया था, जो इसे 26 अगस्त को सूचीबद्ध करने के लिए सहमत हुई थी।

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अधिवक्ता हारिस बीरन ने पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया, जिसमें जस्टिस हिमा कोहली और सी टी रविकुमार भी शामिल थे, और कहा कि उच्च न्यायालय ने कप्पन को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

याचिका में कहा गया है, "वर्तमान में, याचिकाकर्ता ने कथित आरोपों के आधार पर लगभग दो साल सलाखों के पीछे बिताए हैं, केवल इसलिए कि उसने हाथरस बलात्कार / हत्या के कुख्यात मामले पर रिपोर्टिंग के अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन करने की मांग की थी।"

याचिका में दावा किया गया है कि उच्च न्यायालय इस तथ्य पर ध्यान देने में विफल रहा है कि प्राथमिकी या आरोप पत्र, "पूर्व दृष्टया" गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 17 और 18 के आह्वान का मामला नहीं बनता है।

जहां यूएपीए की धारा 17 किसी आतंकवादी कृत्य के लिए धन जुटाने की सजा से संबंधित है, वहीं धारा 18 साजिश आदि के लिए सजा से संबंधित है।

कप्पन को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वह हाथरस जा रहा था। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित संबंध रखने वाले चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पीएफआई पर पहले भी देश भर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को फंडिंग करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने पहले दावा किया था कि आरोपी हाथरस में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे।

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TAGS: Siddiqui Kappan, Bail plea, Supreme Court, BJP, Hathras rape, UAPA, PFI
OUTLOOK 24 August, 2022
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