गुजरात में ‘गरीब’ सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण
यह निर्णय पार्टी की राज्य इकाई के कोर ग्रुप की बैठक में लिया गया जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी स्थानीय निकाय के हाल के परिणामों के कारण चिंतित है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
इस निर्णय से उच्चतम न्यायालय द्वारा तय की गई 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन होगा लेकिन राज्य सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और इसके लिए कानूनी रूप से लड़ेगी। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष विजय रूपानी ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की। घोषणा के समय मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और वरिष्ठ मंत्री नितिन पटेल भी मौजूद थे।
रूपानी ने संवाददाताओं से कहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में कोर ग्रुप की हमारी बैठक में सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का फैसला किया गया। रूपानी ने कहा, अधिसूचना एक मई को गुजरात राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जारी की जाएगी और सामान्य वर्ग के ईबीसी आगामी अकादमिक वर्ष से शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण का लाभ लेने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा, छह लाख रुपये या इससे कम वार्षिक आय वाले परिवार इस आरक्षण के पात्र होंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रतिमाह 50,000 रुपये तक की आय वाले लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। सरकार ने जिस आरक्षण की घोषणा की है वह उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण के लिए तय 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक होगा। राज्य सरकार पहले ही एससी-एसटी और ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराती है। यह पूछने पर कि यह नई घोषणा कानूनी आधार पर टिक पाएगी या नहीं, रूपानी ने कहा, हम इसे लेकर बहुत गंभीर हैं और हम सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के आरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय तक लड़ेंगे।
भाजपा सरकार हार्दिक पटेल और लालजी पटेल के नेतृत्व में संख्या एवं सामाजिक स्थिति के आधार पर मजबूत पटेल समुदाय के हिंसक विरोध प्रदर्शनों से जूझ रही है। पटेल समुदाय ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। भाजपा को हाल में हुए ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में भारी नुकसान हुआ है जिसके लिए पटेल आरक्षण आंदोलन को जिम्मेदार माना जा रहा है।