चंडीगढ़ में 10 साल की रेप पीड़िता ने बच्ची को दिया जन्म
चंडीगढ़ के सरकारी अस्पताल में दस साल की दुष्कर्म पीड़िता ने एक बच्ची को जन्म दिया। इस पीड़िता की अबॉर्शन की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी। इस बच्ची से उसके मामा ने कथित तौर पर कई बार दुष्कर्म किया था। अस्पताल के सूत्रों ने कहा कि पीड़िता और नवजात बच्ची दोनों की हालत स्थिर है। नवजात को इंटेसिव केयर में रखा गया है, क्योंकि उसका वजन कम है।
पीड़ित लड़की चंडीगढ़ के सेक्टर 32 के सरकारी मेडिकल कॉलेज में बीते दो दिनों से भर्ती थी। डॉक्टरों की एक टीम उसकी स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुई थी। लड़की की डिलीवरी सर्जरी से कराई गई।
बता दें कि चंडीगढ़ की इस बच्ची का उसके मामा ने कई बार यौन शोषण किया और जब तक इस बात की जानकारी घरवालों को हुई, तब तक उसके गर्भ को 26 हफ्ते हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट में उसके गर्भपात की याचिका डाली गई लेकिन कानून में 20 हफ्ते तक के गर्भ को ही गिराने की इजाजत है। कोर्ट ने यह कदम उसके जीवन को खतरे के मद्देनजर लिया था।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद इस याचिका को नामंजूर कर दिया था। कोर्ट ने कहा था, "मेडिकल बोर्ड की सिफारिश को ध्यान में रखते हुए हम मानते हैं कि न तो यह लड़की के हित में होगा और न ही भ्रूण के हित में। हम गर्भपात को अस्वीकार करते हैं।"
यह आदेश वकील आलोक श्रीवास्तव की एक जनहित याचिका पर आया, जिन्होंने 18 जुलाई को चंडीगढ़ की जिला अदालत की ओर से अबॉर्शन कराए जाने से इनकार करने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।