महोबा में एम्स, 21 हिंदुओं ने रखा रोजा
बुंदेली समाज संगठन के समन्यवक तारा पाटकर ने शनिवार को बताया कि तयशुदा कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को रमजान के पहले दिन 21 हिंदुओं सहित करीब 70 लोग रोजा रखते हुए शहर के उदल चौक पर बैठे। रोजा रखने वालों में महामंडलेश्वर विशंभर दास, रामकुंड के महंत तुलादास जी महाराज, पादरी लावान मसीह, बुंदेली समाज संगठन के महामंत्राी अजय परसैया, सिद्धगोपाल सेन, जितेंद्र चौरसिया, अमरीश कुमार, अमर नारायण, ओम नारायण और अरविंद प्रजापति के साथ-साथ 12 साल का चिरायु भी शामिल था।
पाटकर ने बताया कि मुसलमान रोजेदारों में बुंदेली समाज संगठन के अध्यक्ष हाजी पावेश मोहम्मद, मकबूल हुसैन तथा पार्षद मोहम्मद इमरान समेत करीब 50 लोग शामिल थे। रोजेदारों की इस महफिल में राजनीतिक लोगों को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन अभी किसी ने अपेक्षित दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
हाजी पावेश मोहम्मद ने बताया कि रोजे में नमाज पढ़ना जरूरी है, लिहाजा मुस्लिम लोग आसपास की मस्जिदों में नमाज अदा करने जाते हैं। शाम को सभी लोग चौक पर रोजा इफ्तार करते हैं। आज चौक पर बैठने वाले रोजेदारों की तादाद 100 के करीब पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन से जहां एक तरफ पूरे मुल्क में हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच सद्भाव का एक मजबूत संदेश जायेगा वहीं दूसरी तरफ इससे बुंदेलखंड के केंद्र में बसे महोबा जिले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले जाने की काफी दिनों से चली आ रही मांग पर भी प्रभावी दबाव बनाया जा सकेगा।
मोहम्मद ने कहा कि उनका संगठन बुंदेलखंड के हिन्दू-मुस्लिम तथा अन्य सभी धर्मांे के लोगों को एकजुट करके मजबूत कड़ी बनाकर देश के नीति नियामकों को यह एहसास भी करायेंगे कि बुंदेलखंड क्षेत्रा में गरीबों सहित आम लोगों की गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए यहां एम्स खोला जाना कितना जरूरी है।
पाटकर ने कहा कि 21 जून को मनाए जा रहे अंतरराष्टीय योग दिवस पर जहां देश में योग को लेकर राजनीति हो रही है, वहीं उनके संगठन ने कल से शुरू होने वाले संयुक्त रोजा कार्यक्रम में सभी दलों के नेताओं को विशेष रूप से आमंत्रिात किया है ताकि वे उनके एकता के संदेश को समभुा सकें और एम्स खोले जाने के मामले में भी प्रभावी भूमिका अदा करें। उन्होंने बताया कि महोबा में एम्स खोले जाने के अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अब तक उदर्ू, सिंधी, पंजाबी और मलयालम समेत 18 भाषाओं में एक लाख से ज्यादा पोस्टकार्ड लिखकर भेजे जा चुके हैं।