आप का लोकपाल महाजोकपाल, भूषण ने केजरीवाल पर साधा निशाना
भूषण ने मसौदा विधेयक, जिसे अभी दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है, के कुछ प्रावधान पढ़े। उन्होंने दावा किया कि टकराव को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के मंत्रियों और अधिकारियों को जानबूझकर प्रस्तावित विधेयक के दायरे में रखा गया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को भी मोदी की तरह सवाल किया जाना पसंद नहीं है लिहाजा उन्होंने विधेयक का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया।
आप के पूर्व नेता ने कहा, भारत के इतिहास में किसी कार्यकर्ता अथवा आंदोलन ने इस तरह से लोगों के साथ धोखा नहीं किया है। इससे सिर्फ यही होगा कि केन्द्र सरकार इसे मंजूरी नहीं देगी और विधेयक कभी पारित नहीं होगा। केजरीवाल की एक मजबूत लोकपाल बनाने की मंशा कभी नहीं रही। आप के असंतुष्ट विधायक पंकज पुष्कर भी इस मौके पर भूषण के नोएडा स्थित आवास पर उपस्थित थे। उन्होंने दावा किया कि बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का सदस्य होने की हैसियत से वह विधेयक की एक प्रति हासिल करने में सफल रहे।
भूषण ने विधेयक में उल्लिखित लोकपाल की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाया, जिसे हाल ही में आप केबिनेट ने मंजूरी दी। उनका कहना था कि इससे लोकपाल को नगर सरकार के रहमो करम पर छोड़ दिया गया है। विधेयक कथित रूप से कहता है कि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वाली चार सदस्यीय चयन समिति लोकपाल की नियुक्ति करेगी, जबकि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत से मंजूर होने वाले प्रस्ताव के जरिए लोकपाल को हटाया जा सकेगा।