AIADMK विलय के बाद दिनाकरन समर्थक विधायक राज्यपाल से मिले
एआईएडीएमके के पलानीसामी और पन्नीरसेल्वम के गुटों के विलय के बाद भी तमिलनाडु में राजनीतिक घमासान जारी है। इस विलय के बाद पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम ने एआईएडीएमके की महासचिव शशिकला और उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन को पार्टी में अलग-थलग कर दिया है।
इस विलय से नाखुश दिनाकरन गुट के 19 विधायकों ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव से मुलाकात की। इस मुलाकात में विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की और यह कहा कि पलानीस्वामी के पास बहुमत नहीं है। विधायकों ने राज्यपाल से मिलने से पहले दिनाकरन के आवास पर उनसे मुलाकात की।
बीमार चल रहे शशिकला के भतीजे और पार्टी के उप-महासचिव दिनाकरन ने एएनआई को कहा कि राज्यपाल को इस सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए कहना चाहिए।
दिनाकरन गुट के एक विधायक ने कहा कि यह सरकार सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
विपक्ष अक्टूबर में अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है
दोनों गुटों के विलय के बाद एआईएडीएमके के पास 234 सदस्यों वाली विधानसभा में कुल 134 विधायक हैं। दिनाकरन गुट के 19 विधायकों का समर्थन नहीं मिलने पर पलानीस्वामी की सरकार को विश्वास मत के लिए 118 के आंकड़े को छूने में काफी मुश्किल आएगी। अगर राज्यपाल विश्वास मत हासिल करने का कोई निर्देश सरकार को नहीं दें तो फिर विपक्ष अक्टूबर में ही अविश्वास प्रस्ताव को ला सकती है।
मुख्य विपक्षी दल डीएमके पहले ही इस बात के संकेत दे चुकी है कि अक्टूबर में विधानसभा के सत्र की शुरुआत होने पर वह अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है। पिछला अविश्वास प्रस्ताव अप्रैल में पेश किया गया था। विपक्ष द्वारा पेश किए जाने वाले दो अविश्वास प्रस्तावों के बीच 6 महीने का अंतराल होना जरूरी है। लेकिन अब पलानीस्वामी की सरकार के ऊपर खतरा तभी होगा जब अविश्वास प्रस्ताव में दिनाकरन गुट के 19 विधायक दल-बदल कानून के तहत सदस्यता गंवाने का खतरा उठाते हुए सरकार के खिलाफ मतदान करें क्योंकि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने की वजह से इनकी सदस्यता जा सकती है और दिनाकरन गुट के पास दल-बदल कानून से बचने के लिए पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का समर्थन नहीं है।