वंदे मातरम पर कमलनाथ का यू-टर्न, अब पुलिस बैंड के साथ होगा गायन, आम जनता भी होगी शामिल
मध्य प्रदेश में वंदे मातरम् गाने को लेकर सियासी घमासान में अब नया मोड़ आ गया है। भाजपा की ओर से लगातार हमलावर होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यूटर्न ले लिया है। उन्होंने कहा है कि अब पुलिस बैंड के साथ वंदेमातरम् का गायन होगा। बता दें कि मध्य प्रदेश के सचिवालय में लंबे समय से महीने के पहले दिन राष्ट्रगीत गाने की परंपरा अचानक से बदल दी गई। नया साल शुरू हुआ, लेकिन पहली तारीख पर जब वंदे मातरम नहीं गाया गया तो सवाल खड़े होने लगे।
अब कमलनाथ ने कहा, 'भोपाल में अब आकर्षक स्वरूप में पुलिस बैंड और आम लोगों की सहभागिता के साथ वंदेमातरम् का गायन होगा। हर महीने के पहले कार्यदिवस पर सुबह 10:45 बजे पुलिस बैंड राष्ट्र भावना जागृत करने वाले धुन बजाते हुए शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे।'
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सचिवालय में महीने के पहले कार्यदिवस पर वंदे मातरम न गाए जाने को लेकर सत्ता में बैठी कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस को अगर राष्ट्रगीत गाने में शर्म आ रही है तो वह खुद हर महीने की पहली तारीख को वंदेमातरम गाएंगे।
शिवराज ने बोला था हमला
बता दें कि शिवराज सरकार ने हर महीने के पहले कामकाजी दिन में 'वंदे मातरम्' गाने की यह व्यवस्था शुरू की थी। लेकिन साल 2019 के पहले कामकाजी दिन पर राष्ट्रगीत नहीं गाया गया। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट में लिखा, 'कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूँ कि वंदे मातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख को हमेशा की तरह वल्लभ भवन के प्रांगण में हो।'
चौहान ने आगे ट्वीट में लिखा, 'अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा।' शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को याद दिलाते हुए अपने ट्वीट में लिखा, 'मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार ने वंदे मातरम् का गान हर सप्ताह कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में वंदे मातरम् गान में सभी कर्मचारी और अधिकारी गण उपस्थित रहते थे।'
शिवराज ने लिखा, 'वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नयी ऊर्जा का संचार होता था। अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी। पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया।'
कमलनाथ ने पूछा-जो वंदेमातरम नहीं गाते क्या वो देशभक्त नहीं?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था, 'हर महीने की 1 तारीख को मंत्रालय में वंदेमातरम गाने की अनिवार्यता को फिलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय ना किसी अजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदेमातरम को लेकर कोई विरोध है। वंदेमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है।' मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कही थी कि इस आदेश को नए रूप में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'जो लोग वंदेमातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है। इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है। हमारी भी धर्म, राष्ट्रीयता, देशभक्ति में आस्था है। कांग्रेस पार्टी, जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता के लिए किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए व जनता को गुमराह, भ्रमित करने के लिए थोपे जाते रहे हैं।'
क्या है पूरा विवाद?
मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में वंदे मातरम् का गान हर सप्ताह कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन (सचिवालय) के प्रांगण में वंदे मातरम् गान में सभी कर्मचारी और अधिकारी गण उपस्थित रहते थे। लेकिन इस बार साल 2019 के पहले कामकाजी दिन पर राष्ट्रगीत नहीं गाया गया।