पंजाब में गौशालाओं की बिजली कटी, मंत्री को पता नहीं
पंजाब राज्य गौसेवा आयोग तथा विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार से गौशालाओं में बिजली के कनेक्शन बहाल करवाने तथा बिजली मुफ्त देने की पिछली सरकार की व्यवस्था को जारी रखने का आग्रह किया है।
पंजाब गौसेवा आयोग के चेयरमैन कीमती लाल भगत ने भाषा से बातचीत में कहा, कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई वाली राज्य की कांग्रेस सरकार से मेरा आग्रह है कि गोधन की सुरक्षा और सेवा के लिए प्रदेश की गौशालाओं में मुफ्त बिजली की व्यवस्था बहाल की जाए। यह भी हवाला दिया गया कि कैप्टन के पिता और पूर्वजों ने गौसेवा के लिए जमीन तो दी ही थी उनके संचालन के लिए धन भी देते थे।
कीमती ने कहा, प्रदेश में 472 गौशालाएं हैं जिन्हें प्रदेश की पिछली भाजपा-अकाली गठबंधन सरकार ने मुफ्त में बिजली उपलब्ध कराई थी। अब लगभग आधी गौशालाओं में बिजली के बिल भेज दिए गए हैं और पांच की बिजली काट दी गयी है।
दूसरी ओर राज्य सरकार के बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने कहा है कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है और बगैर जानकारी के वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं।
राणा ने कहा, ‘मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैं इसकी जानकारी लेने के बाद ही इस बारे में कुछ कहूंगा। मुझे पता करने दीजिए।’
यह पूछने पर कि क्या गौशालाओं में मुफ्त बिजली की व्यवस्था बहाल रहेगी, राणा ने कहा कि जब उन्हें इस बारे में कुछ पता ही नहीं है तो वह कैसे कुछ कह सकते हैं। वह इस बारे में जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में आएंगे।
इससे पहले संघ से भाजपा में आए प्रदेश प्रवक्ता राकेश शांतिदूत ने कहा, ‘पिछली सरकार की गौसेवा के लिए मुफ्त बिजली देने की व्यवस्था नई सरकार को भी बहाल रखना चाहिए क्योंकि गौसेवा पूरे समाज और राष्ट्र की सेवा है।’
मुख्यमंत्री से मेरा आग्रह है कि बिना देर किए इस पर विचार करते हुए तत्काल पिछली व्यवस्था बहाल करें।
कीमती ने विस्तार से बताया कि गौशालाओं का बिजली बिल एक साल में चार करोड 57 लाख रुपया बनता है। पिछली सरकार ने इस बारे में प्रत्येक तीन महीने के हिसाब से चार किश्तों में बिजली विभाग को ये रुपये देने की व्यवस्था की थी।
सरकार बदलने पर गौशालाओं को बिजली के बिल भेजे जाने लगे। फिरोजपुर की एक तथा मोगा और बठिंडा की दो-दो गौशालाओं की बिजली काट दी गई है।
कीमती ने कहा, मैने सभी गौशालाओं से कहा है कि वह बिजली के बिल जमा नहीं करवाएं क्योंकि यह सरकार की ओर से हुई तकनीकी गड़बड़ी है।
भाषा