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03 November 2025

अनिल अंबानी की 7500 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क, ED ने इस मामले में लिया एक्शन

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष कार्य बल ने अनिल अंबानी के रिलायंस समूह के खिलाफ धन शोधन के आरोप में नवी मुंबई के धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (डीएकेसी) में 4,462.81 करोड़ रुपये मूल्य की 132 एकड़ से अधिक जमीन कुर्क की है। एजेंसी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

यह कुर्की रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों की चल रही जांच के सिलसिले में की गई है।

ईडी ने एक बयान में कहा कि इससे पहले ईडी ने आरएचएफएल और आरसीएफएल द्वारा सार्वजनिक धन के हेर-फेर से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों में रिलायंस अनिल अंबानी समूह की संस्थाओं से जुड़ी लगभग 3,083 करोड़ रुपये की 40 संपत्तियों को कुर्क किया था।

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रिलायंस अनिल अंबानी समूह से जुड़े मामलों में ईडी द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य अब 7,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जिसमें 3,083 करोड़ रुपये की पूर्व कुर्की भी शामिल है।

धन शोधन की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 406 और 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) एवं 13(1)(डी) के तहत दर्ज एफआईआर से शुरू हुई है, जिसमें आरकॉम, अनिल अंबानी और अन्य का नाम शामिल है।

हालांकि, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक बयान में कहा कि अनिल अंबानी 3.5 साल से अधिक समय से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं।

बयान में कहा गया है, "हम यह सूचित करना चाहते हैं कि कंपनी की कुछ संपत्तियों को पीएमएलए के तहत कथित उल्लंघनों के लिए ईडी द्वारा अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के व्यावसायिक संचालन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अनिल डी अंबानी 3.5 साल से अधिक समय से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के बोर्ड में नहीं हैं।"

ईडी के अनुसार, आरकॉम और उसकी समूह कंपनियों ने 2010 से 2012 के बीच घरेलू और विदेशी दोनों तरह के ऋण लिए, जिनकी कुल बकाया राशि 40,185 करोड़ रुपये थी। पाँच बैंकों ने तब से समूह के खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित कर दिया है।

जांच से पता चला है कि एक संस्था द्वारा लिए गए ऋणों का इस्तेमाल समूह की अन्य कंपनियों के ऋणों को चुकाने, संबंधित पक्षों को हस्तांतरित करने या म्यूचुअल फंडों में निवेश करने के लिए किया गया - जो ऋण शर्तों का उल्लंघन था। 

एजेंसी ने आरोप लगाया कि 13,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि ऋणों को सदाबहार बनाने में लगा दी गई, 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पक्षों को दिए गए, और लगभग 1,800 करोड़ रुपये सावधि जमा और म्यूचुअल फंडों में निवेश किए गए, जिन्हें बाद में भुनाकर समूह की संस्थाओं को हस्तांतरित कर दिया गया।

ईडी ने बिल डिस्काउंटिंग तंत्र के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और विदेशी धन प्रेषण के माध्यम से विदेशों में धन की कथित हेराफेरी का भी पता लगाया।

एजेंसी ने वित्तीय अपराध के मामलों को आगे बढ़ाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि अपराध से प्राप्त धन की वसूली की जाए तथा उसे सही दावेदारों को वापस किया जाए।

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TAGS: Money laundering case, enforcement directorate ED, anil ambani
OUTLOOK 03 November, 2025
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