उत्तराखंड में एक और किसान ने की खुदकुशी
दरअसल, डेढ़ महीने के भीतर कर्ज की वजह से तीसरे किसान ने आत्महत्या की है जबकि एक किसान की मौत कर्ज के नोटिस को देख सदमे में जाने के कारण हो चुकी है। केलाखेड़ा के बांसखेड़ी गांव निवासी बलविंदर सिंह(40) पुत्र मलूक सिंह ने कुछ समय पहले पंजाब नेशनल बैंक की शाखा से ट्रैक्टर के लिए लोन लिया था। वह लोन की किश्त नहीं चुका पा रहा था।
बीते 30 जून को बैंक ने कर्ज वसूली का नोटिस बलविंदर को भेजा था, जिसकी वजह से वह तनाव में चल रहा था। बुधवार की सुबह बलविंदर ने घर में जहर खा लिया। हालत बिगड़ने पर परिजन उसे पहले प्राइवेट और फिर सरकारी अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। तीन भाईयों में बलविंदर दूसरे नंबर का था। बड़े भाई की पहले ही मौत हो चुकी है, जबकि बलविंदर की मौत के बाद अब उसका छोटा भाई कुलदीप ही रह गया है।
कुलदीप के मुताबिक कर्ज का नोटिस मिलने के बाद से ही भाई काफी तनाव में था। बलविंदर की मौत के बाद उसकी 14 वर्षीय बेटी और 4 महीने के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया है। उसकी मौत से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
कर्ज लील चुकी तीन किसानों की जान
कर्ज की वजह से किसान की मौत का यह पहला मामला नहीं है। बीते 16 जून को पिथौरागढ़ जिले के पुरान थल गांव निवासी किसान सुरेंद्र सिंह ने ग्रामीण बैंक से लिया 50 हजार रुपये का कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। बैंक सुरेंद्र का नोटिस भेजकर कर्ज चुकाने का दवाब बना रहा था। घटना के बाद सरकार को विपक्ष का तीखा विरोध झेलना पड़ा था। घटना के 10 दिन बाद ही 25 जून को यूएसनगर जिले के कंचनपुरी के रहने वाले रामअवतार ने पौने दो लाख रुपये का बैंक कर्ज नहीं चुकाने की वजह से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। रामअवतार के पास बैंक ने कर्ज चुकाने का नोटिस भेजा था। 4 जुलाई को यूएसनगर जिले के ही ग्राम बिरियाभूड़ निवासी बुजुर्ग किसान मस्सा सिंह की कर्ज के नोटिस देख सदमे में मौत हो गई थी। मस्सा सिंह पर उत्तराखंड ग्रामीण बैंक का 2 लाख 25 हजार रुपये का लोन था, जिसे चुकाने के लिए बैंक ने मस्सा को नोटिस भेजा था। अब बैंक नोटिस के चलते किसान बलविंदर सिंह ने आत्महत्या की है।
सरकार पर उठ रहे हैं सवाल
महाराष्ट्र, तमिलनाडू, मध्यप्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी कर्ज से परेशान किसान मौत को गले लगा रहे हैं। पहले से ही दो किसानों की आत्महत्या और एक किसान की सदमे से मौत मामले में विपक्षी कांग्रेा ने सरकार को घेरा हुआ था। मामला ठंडा हुआ था कि अब एक और आत्महत्या ने विपक्ष को फिर से सरकार को घेरे में लेने का मौका दे दिया है। पूर्व में हुई किसानों की मौतों के बाद से ही कांग्रेस आरोप लगाती रही कि केंद्र और राज्य सरकार की गलत नीतियों की वजह से किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं।