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31 January 2020

पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान पर वसूली का मामला , SC ने यूपी सरकार से 4 हफ्ते मे मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से राज्य में सीएए के विरोध के दौरान नुकसान हुई पब्लिक प्रॉपर्टी के संबंध में दिए आदेश पर जवाब मांगा है। यूपी सरकार ने इसके तहत वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। जिसके लिए प्रदर्शनकारियों को नोटिस भेजा गया है। सरकार के इसी नोटिस के खिलाफ एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इसी पर जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और के एम जोसेफ की पीठ नने यूपी सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। 

बुजुर्गों को भेज दिया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश में “मनमाने तरीके से” नोटिस भेजे गए हैं। इनमें एक ऐसे व्यक्ति को नोटिस जारी कर दिया गया है, जिनकी 94 साल की उम्र में छह साल पहले मृत्यु हो चुकी है और दो अन्य की उम्र भी 90 साल से ज्यादा है। याचिकाकर्ताओं के वकील परवेज आरिफ टीटू ने यह दावा करते हुए इन नोटिसों पर रोक लगाने की मांग की है कि नोटिस ऐसे व्यक्तियों को भेजा गया है, जिनके खिलाफ कभी कोई दंडात्मक मामला दर्ज नहीं किया गया और न ही उनके खिलाफ किसी प्रकार की कोई एफआईआर दर्ज की गई है। साथ ही उन लोगों के खिलाफ कोई आपराधिक अपराधों का रिकॉर्ड भी नहीं है।।

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प्रदेश सरकार शीर्ष अदालत के निर्देश माने

अधिवक्ता निलोफर खान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “नोटिस 2010 में दिए गए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर आधारित थे, जो 2009 के फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा पारित ‘दिशानिर्देशों का उल्लंघन है’, बाद में जिसकी पुष्टि 2018 के फैसले में फिर से की गई थी। असल में साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई का तरीका राज्य के उच्च न्यायालय के जरिए तय किया जाएगा। लेकिन 2010 में इलाहाबद उच्च न्यायालय में इस संबंध में वसूली का अधिकार राज्य सरकार को दे दिया था। याचिकाकर्ता इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की अपील कर रहे हैं।  उनका कहना है कि उच्च न्यायालय का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए विरोधाभास उत्पन्न करता है।

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TAGS: Anti-CAA protests, SC, UP govt
OUTLOOK 31 January, 2020
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