फेसबुक वाले लड़के को गिरफ्तार करना पड़ा महंगा
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने उत्तर प्रदेश पुलिस से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें आरोप है कि आइजी और डीसीपी जैसे शीर्ष स्तर के पुलिस अधिकारियों से मशविरे के बिना सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66ए नहीं लगाये जाने के उच्चतम न्यायालय के परामर्श का उल्लंघन हुआ।
पीठ ने कहा, हम गौर करेंगे और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद मुकर्रर की।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सोली सोराबजी ने पीठ का ध्यान शीर्ष न्यायालय के 16 मई 2013 के सुझाव की ओर दिलाया जिसमें स्पष्ट किया गया था कि कानून के विवादित प्रावधान के तहत तब तक मामले दर्ज नहीं किये जाएंगे जब तक कि आईजी या डीसीपी जैसे शीर्ष स्तर के अधिकारियों से इजाजत नहीं ली जाती।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि मामले में कुछ भी नहीं बचा है क्योंकि लड़के को जमानत पर रिहा कर दिया गया है और कानून के तहत उसके पास समाधान उपलब्ध है।