असम में एनआरसी दावों के लिए फॉर्म मिलने में देरी से लोग नाखुश
असम में लोगों को राज्य के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) में दावों, आपत्तियों और सुधार के लिए फॉर्म नहीं मिल पाए हैं। इससे प्रक्रिया, मूल कार्यक्रम से कम से कम एक सप्ताह के लिए देर हो गई है। इसकी वजह से लोग नाखुश हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, एनआरसी सेवा केंद्र (एनएसके) ने शुक्रवार से लोगों को पूर्ण मसौदे में उनका नाम शामिल नहीं किए जाने के कारणों के बारे में बताना शुरू कर दिया था। हालांकि, यह प्रक्रिया सात अगस्त से ही शुरू होने वाली थी। इन केंद्रों को दावों, आपत्तियों और सुधारों के लिए फॉर्म वितरित करने थे और लोगों के नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं किए जाने के कारण बताने थे, लेकिन वहां पहुंचने पर लोगों को बिना फॉर्म के लौटना पड़ा। एनआरसी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि अब 16 अगस्त से फॉर्म वितरित किए जाने की उम्मीद है। एनएसके 30 अगस्त से 28 सितंबर तक फॉर्म स्वीकार करेगी। इसके बाद उसके सत्यापन और उसके निपटारे की प्रक्रिया शुरू होगी। एनआरसी को अद्यतन करने की मौजूदा प्रक्रिया सिर्फ उन लोगों के लिए सीमित है, जिन्होंने 31 अगस्त 2015 तक आवेदन किया था। दावे, आपत्तियां और सुधार भी सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए हैं।
असम की पहली महिला मुख्यमंत्री सैयदा अनवरा तैमूर, पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद जैसी नामी हस्तियों के रिश्तेदारों समेत अन्य ने एनआरसी को अद्यतन करने के लिए आवेदन नहीं दिया था इसलिए उनके नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं हैं। गत 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे में कुल 3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 आवेदकों में से 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों के नाम ही शामिल किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के लिए कोई समय-सीमा नहीं तय की है, लेकिन केंद्र ने 31 दिसंबर 2018 तक इसे अद्यतन करने के काम के लिए कुल 1220 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी है।