बिहार हिंसा मामले में कोर्ट ने अर्जित को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। शनिवार को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। पुलिस सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोपी अर्जित शाश्वत को पटना से भागलपुर ले गई। जिसके बाद उनको पुलिस भागलपुर कोर्ट ले जाया गया। शाश्वत के ऊपर 17 मार्च को भागलपुर में एक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप है।
सरेंडर का किया दावा
अर्जित ने पटना में मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने न्यायालय का सम्मान करते हुए सरेंडर किया है।
I am going to surrender(in Bhagalpur violence case). We will also approach higher courts. The FIR against me is totally fake: Arijit Shashwat, son of Union Minister Ashwini Chaubey. #Bihar pic.twitter.com/OTcBThhq9p
— ANI (@ANI) March 31, 2018
उन्होंने बताया, ''मैं किसी दवाब में नहीं था। मैं हनुमान मंदिर प्रणाम करने आया था और इसके बाद मैंने यहीं पर सरेंडर किया। मैं न्यायालय की शरण में था। न्यायालय की ओर से मेरी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की खबर मुझे शाम को मिली। इसके बाद मुझे लगा कि न्यायालय का सम्मान होना चाहिए।''
अग्रिम जमानत के लिए याचिका खारिज
बता दें कि अर्जित शाश्वत ने भागलपुर कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया था। अर्जित की गिरफ्तारी को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राजनीतिक दबाव था। सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मामले में कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इसे लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार पर लगातार हमला बोल रहे थे।
क्या था मामला?
विक्रमी नववर्ष की शोभा यात्रा के दौरान 17 मार्च को भारतीय जनता पार्टी ने अर्जित के नेतृत्व में भागलपुर में जुलूस निकाला था। पुलिस के मुताबिक यह जुलूस बिना मंजूरी के निकाला गया था। यही जुलूस जब भागलपुर के नाथनगर पहुंचा तो कथित रुप से आपत्तिजनक गाने को लेकर दो पक्षों के बीच पत्थरबाजी, आगजनी और हिंसा की घटना हुई थी। इस दौरान कई लोग घायल हुए थे।