जिनका खुद का इतिहास नहीं वह इसमें उलटफेर करेंगे ही: कन्हैया कुमार
तीन दिनों से मध्यप्रदेश की राजधानी में चल रहे भोपाल जन उत्सव का मंगलवार शाम एक बड़ी रैली और आमसभा के साथ समापन किया गया। भारत के विभिन्न प्रांतो से आए सैकड़ों प्रतिनिधियों ने लोकतांत्रिक मूल्यों एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और असहमति के अधिकार के लिए संघर्ष करने का संकल्प लिया। प्रतिनिधियों ने देश के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चिंता व्यक्त की और इसे बदलने के लिए युवा, मजदूर, किसान और आम जनता को एकजुट करने का आह्वान किया।
भोपाल जन उत्सव में विचार गोष्ठियों के माध्यम से महिला के खिलाफ हो रही हिंसा, शिक्षा पर नवउदारवादी एवं सांप्रदायिक हमले, वैज्ञानिक चेतना को खत्म करने की साजिशों के खिलाफ विमर्श किया गया। इन मुद्दों पर आम जन को जोड़कर लोकतांत्रिक मूल्यों एवं वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन करने की बात की गई।
आम सभा को सम्बोधित करते हुए बस्तर की आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने कहा कि कानून एवं संविधान का सही तरीके से पालन नहीं करने से महिलाओं, दलितों एवं आदिवासियों पर हिंसा हो रही है। सरकार जल, जंगल और जमीन को निजी कंपनियों को देने के लिए आदिवासी इलाकों में हिंसा कर रही है।
वही रमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और आर टी आई के लिए लम्बी लड़ाई लड़ने वाली अरुणा रॉय ने अपने विचारों में कहा की अगर कोई आर टी आई का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए कर रहा है तो सरकार को चाहिये की वो कठोर से कठोर कानूनी कदम उठाए। उन्होने कहा कि जब सब झूठ बोलते हों तब सच बोलना क्रांति है।
समापन से पहले एक बड़ी रैली निकाली गई। आम सभा को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि जन उत्सव में देश भर के बुद्धिजीवी मन की बात कहने नहीं आए हैं, ये सभी जन की बात कहने आए हैं। आज जनता हिंसा, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, विस्थापन से जूझ रही है। इनकी आवाज को उठाने के लिए सभी यहां इकट्ठा हुए हैं। आज विपरीत परिस्थितियों में भी निराशा नहीं है, बल्कि युवाओं ने आवाज को बुलंद किया है। उनकी एकजुटता और संघर्ष से लोकतंत्र बचेगा।
छात्र नेता कन्हैया कुमार ने केंद्र सरकार की नीतियों को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि जिनका खुद का इतिहास नहीं हैं, जो इतिहास में शामिल नहीं है, जो इतिहास बना नहीं पाए, उनको इतिहास में जगह चाहिए तो वह उलटफेर करेंगे ही। यह हर दौर में होता है जब शासन जनता से किए वादों को निभा पाने में असमर्थ होता है।