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18 April 2025

जेएनयू में यौन उत्पीड़न का बड़ा मामला, वरिष्ठ प्रोफेसर यौन उत्पीड़न के आरोप में बर्खास्त

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के चलते एक वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को बर्खास्त कर दिया है। यह मामला तब सामने आया जब जापानी दूतावास की एक अधिकारी ने विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान उनके खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की।

पीड़िता अब जापान लौट चुकी हैं। उन्होंने औपचारिक रूप से अपनी शिकायत दर्ज करवायी थी, जिसे बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और जेएनयू प्रशासन के पास भेजा गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और एक समिति गठित कर मामले की विस्तृत जांच कराई।

जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा, “हम यौन उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और शोषण के मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हैं। यह बर्खास्तगी विश्वविद्यालय परिसर को सुरक्षित और जवाबदेह बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।”

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जांच समिति ने दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने और गवाह पेश करने का पूरा अवसर दिया। एक वरिष्ठ संकाय सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह घटना मई 2024 में हुई थी और इसके बाद से जांच प्रक्रिया चल रही थी।

प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को बर्खास्त किया गया है। सिंह स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, ऑर्गनाइजेशन एंड डिसआर्मामेंट के सदस्य थे। सिंह लंबे समय से जेएनयू से जुड़े हुए थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए, जेएनयू से पीएचडी और स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय से संघर्ष समाधान में पोस्ट-डॉक्टरेट किया है।

उनके शोध क्षेत्रों में हथियार नियंत्रण, शांति अध्ययन और भारत की रक्षा-परमाणु नीति जैसे विषय शामिल रहे हैं। वह 2001 से जेएनयू में अध्यापन कर रहे थे और 2012 से 2014 तक विश्वविद्यालय में मुख्य सतर्कता अधिकारी की भूमिका भी निभा चुके हैं। 

इससे पहले, सिंह ने 1992 से 2001 तक नई दिल्ली में रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) में एक शोध संकाय सदस्य के रूप में कार्य किया। स्वर्ण सिंह ने 2006 में एसोसिएशन ऑफ एशियन स्टडीज के अध्यक्ष और 2008 में इंडियन कांग्रेस ऑफ एशियन एंड पैसिफिक स्टडीज के महासचिव सहित कई भूमिकाएं भी निभाईं।

जेएनयू प्रशासन के मुताबिक यह एकमात्र घटना नहीं थी। प्रोफेसर सिंह के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें दर्ज की जा चुकी थीं। इससे पहले विश्वविद्यालय ने पर्यावरण विज्ञान विभाग के एक अन्य संकाय सदस्य को भी एक शोध परियोजना में भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया था। उस मामले की जांच बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने की थी।

इसके अतिरिक्त अन्य संकाय सदस्यों को भी अनुशासनात्मक कार्रवाईयों का सामना करना पड़ा है। जिनमें वेतन वृद्धि रोकना, निंदा पत्र जारी करना और संवेदीकरण प्रशिक्षण जैसे कदम शामिल हैं।

जेएनयू में इस प्रकार की सख्त कार्रवाई इस बात का संकेत है कि संस्थान अब ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के साथ पेशेवर और नैतिक मानकों को लेकर गंभीर है। विश्वविद्यालय की यह पहल उच्च शिक्षा संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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OUTLOOK 18 April, 2025
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