नीतीश के मंत्रिमंडल का विस्तार: 2019 के लिहाज से नजर आई जातीय गणित
महागठबंधन से अलग होने के बाद और एनडीए में वापस आने के बाद बिहार में नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। इसके तहत राजभवन में शनिवार को शपथ ग्रहण समारोह हुआ।
इस मंत्रिमंडल में 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव का असर भी दिखा। नीतीश को सोशल इंजीनियरिंग के लिए जाना जाता है। इस लिहाज से उन्होंने मंत्रिमंडल में भी जातीय गणित साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में सवर्ण जाति से 9 मंत्री, ईबीसी कोटे से 6, दलित कोटे से 5, मुस्लिम 1, यादव कोटे से 3, कुर्मी जाति से 1 और कोइरी जाति से भी 2 मंत्री बने। इसमें जेडीयू के 14, बीजेपी के 12 और एलजेपी के एक मंत्री ने शपथ ली। नीतीश मंत्रिमंडल में एक मात्र महिला चेहरा मंजू वर्मा हैं। अब इस मंत्रिमंडल पर जरा ध्यान दीजिए तो दिखेगा कि नीतीश ने भाजपा के साथ मिलकर किस तरह जातीय गणित को साधने का प्रयास किया।
इस नए मंत्रिमंडल में भाजपा का असर साफ दिख रहा है। इस गठबंधन से 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से सबसे बड़ा फायदा भाजपा को मिलने जा रहा है। भाजपा ने 2015 में मिले अपने कोर वोट बैंक सवर्णों को इस मंत्रिमंडल में सत्ता की हिस्सेदारी बांटकर अपने किले को और मजबूत कर लिया है।
जातीय समीकरण की बात की जाए तो बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी का गठजोड़ बेहद ताकतवर बन रहा है। बीजेपी पर सवर्णों को भरोसा है, तो जेडीयू पर ईबीसी, कुर्मी और महादलित का भरोसा बरकरार है। रामविलास पासवान के जरिए दलित भी इस गठबंधन में जुड़ रहे हैं।
बीजेपी ने सवर्णों के साथ अब अपने कोर वोट बैंक में ईबीसी को शामिल कर लिया है। यह आपने यूपी विधानसभा चुनाव में स्पष्ट देखा। इन्हीं ईबीसी और सवर्णों के समीकरण को साधने के लिए नीतीश मंत्रिमंडल में इनकी भारी हिस्सेदारी हुई है। बिहार में महादलित का चेहरा बन चुके जीतन राम मांझी की पार्टी और आरएलएसपी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई है। हालांकि नीतीश कुमार पर बिहार में महिलाएं और महादलितों ने भरोसा जताया था। कुल मिलाकर 2019 के लिए बिहार में यह गठबंधन अपना किला मजबूत कर लिया।
शपथग्रहण समारोह
कार्यक्रम में सबसे पहले बिजेंद्र कुमार यादव (जेडीयू)ने मंत्रीपद की शपथ ली, जोकि पिछली सरकार में वित्त मंत्री थे। इनके बाद प्रेम कुमार (बीजेपी), राजीव रंजन सिंह (जेडीयू) ने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
इनके बाद नंद किशोर यादव (बीजेपी), श्रवण कुमार (जेडीयू), रामनारायण मंडल (बीजेपी), जय कुमार सिंह (जेडीयू), कृष्णनंदन वर्मा (जेडीयू), प्रमोद कुमार (बीजेपी), महेश्वर हजारी (जेडीयू), शैलेश कुमार (जेडीयू), विनोद नारायण झा (बीजेपी), सुरेश शर्मा (बीजेपी), विजय सिन्हा (बीजेपी), कुमारी मंजू वर्मा (जेडीयू), संतोष निराला (जेडीयू), खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद (जेडीयू), राणा रणधीर सिंह (बीजेपी) ने शपथ ली।
शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बीजेपी और सहयोगी पार्टी के कोटे से 13 और जेडीयू के कोटे से 14 मंत्री बनाए गए हैं। यानी कुल 27 मंत्रियों को शपथ लेनी थी लेकिन मंगल पांडे समारोह में पहुंच नहीं सके।
राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने नए मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों को राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने 26 जुलाई, 2017 की शाम को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर महागठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था। इसके अगले दिन नीतीश ने भाजपा के समर्थन से छठी बार बिहार सीएम पद की शपथ ली। 28 जुलाई को नीतीश ने 131 विधायकों के समर्थन के साथ बिहार विधानसभा में बहुमत साबित किया।