Advertisement
03 June 2018

वसुंधरा राजे के खिलाफ 'थर्ड फ्रंट' का राग अलापने वाले बेनीवाल 10 जून को उतरेंगे मैदान में

हनुमान बेनीवाल (बाएं), वसुंधरा राजे (दाएं). फाइल.

राजस्थान में बीते 4 साल से थर्ड फ्रंट का राग अलापने वाले योद्धाओं में से एक-एक कम होते-होते केवल एक पर आ गए हैं। राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार में रहे पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी और बीजेपी के पूर्व विधायक हनुमान बेनीवाल बीते 4 साल से थर्ड फ्रंट बनाकर वसुंधरा राजे के खिलाफ बिगुल बजाने का दावा ठोकते रहे हैं, लेकिन अब केवल हनुमान बेनीवाल ही बचे हैं जो 10 जून को सीकर में फिर से थर्ड फ्रंट का राग अलापने वाले हैं।

खींवसर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल सीकर, झुंझुनू, नागौर, चूरु, जयपुर, हनुमानगढ़ के साथ ही श्रीगंगानगर में गांव-गांव और पंचायतों में जाकर 10 जून को होने वाली सभा के लिए प्रचार कर रहे हैं। उनका दावा है कि पहले नागौर, जोधपुर और बाड़मेर में हुई उनकी ऐतिहासिक रैलियों की भांति 10 जून को भी सीकर में प्रस्तावित उनकी रैली में 3 लाख से ज्यादा लोग एकत्रित होंगे।

विधायक हनुमान बेनीवाल का सीकर में होने वाली रैली में भी वही मुद्दा है। किसान और युवाओं को साथ लेकर राजस्थान की सरकार को उखाड़ फेंकने का दावा करते हुए बेनीवाल ने एक बार फिर पुकार भरी है। दरअसल बेनीवाल इससे पहले नागौर जोधपुर और बाड़मेर में तीन बड़ी रैलियां करके राजस्थान की सरकार को सकते में डाल चुके हैं। बाड़मेर में तो उनकी रैली तब हुई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिफाइनरी के कार्य शुरू करने के समय आयोजित हुई। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, बेनीवाल की रैली प्रधानमंत्री मोदी की रैली से बड़ी थी, ऐसे में राजस्थान सरकार सकते में आ गई।

Advertisement

तो इसलिए हो रही हैं ये रैलियां?

वैसे तो बेनीवाल लगातार इस बात का दावा करते रहे हैं कि वह किसान और युवाओं के लिए राजस्थान सरकार को झुकाने के लिए यह रैलियां कर रहे हैं। उनकी बात का समर्थन करते हुए किसान और युवा वर्ग उनकी रैलियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा भी ले रहे हैं लेकिन वास्तविकता क्या है, इसको राजनीति के जानकार अलग तरह से प्रदर्शित करते हैं। सियासत के जानकारों का कहना है कि हनुमान बेनीवाल जब से भारतीय जनता पार्टी से दूर होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं, तब से युवाओं और किसान वर्ग में उनका भरोसा तेजी से बढ़ा है। पश्चिमी राजस्थान और शेखावाटी अंचल में आज की तारीख में जाट समाज का कोई बड़ा चेहरा नेतागिरी में नहीं है। ऐसे में बेनीवाल खुद को जाट समाज का दिग्गज लीडर बनाने में जुटे हुए हैं। नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बेनीवाल का यह दावा पुख्ता होता जा रहा है, जब उनकी सभाओं में लाखों की भीड़ एकत्रित हो रही है। लेकिन जानकार कहते हैं कि राजनीति का एक चेहरा यह भी है कि बेनीवाल सियासत में अपने कद का मोल-भाव कर कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं।

इसलिए यह बात अधिक सटीक लगती है

दरअसल, राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों के लिए 2 माह पहले हुए चुनाव में बीजेपी के पूर्व लीडर किरोड़ी लाल मीणा 10 साल बाद फिर से भाजपा का दामन थाम चुके हैं। वह राज्यसभा सांसद बनाकर दिल्ली भेजे जा चुके हैं। बीते 4 साल से किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल कंधे से कंधा मिलाकर एक मंच पर एकत्रित होते रहे हैं। दोनों ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राजस्थान की सरकार को जमकर कोसा है लेकिन किरोड़ी लाल मीणा के द्वारा अचानक से बीजेपी का दामन थामने के बाद राजनीति के जानकारों का दावा है कि बेनीवाल भी किरोड़ी लाल की तरह अपनी सियासत का ठीक मोलभाव कर भाजपा में जाने को आतुर हैं।

और इस तरह थर्ड फ्रंट खत्म

किरोड़ी लाल मीणा बीजेपी में जा चुके हैं। हनुमान बेनीवाल बड़ी रैलियां कर अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं और इधर बीजेपी के ही वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी भारत वाहिनी पार्टी के नाम से दल का गठन कर चुके हैं। ऐसे में 4 साल से थर्ड फ्रंट का सपना और थर्ड फ्रंट का राग अलापने वाले नेताओं की इस तरह से सियासत में छुट्टी हो चुकी है। देखना दिलचस्प होगा, कि बेनीवाल अपने लिए कितनी ऊंची कीमत लगा पाते हैं और भाजपा-कांग्रेस वाले राज्य में घनश्याम तिवाड़ी अपनी पार्टी को किस स्तर तक जिताने में कामयाब हो पाते हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: BJP, hanuman beniwal, vasundhara raje, rajasthan
OUTLOOK 03 June, 2018
Advertisement