Advertisement
29 September 2018

बाबा रामदेव का बदलता रुख अमित शाह को खींच लाया हरिद्वार

Outlook

एक सवाल लगातार राजनीतिक पंडितों को मथ रहा है। हरिद्वार पतंजलि योगपीठ में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का आना क्या गैर-राजनैतिक बात है? इस सवाल से हटकर यदि हम पृष्ठभूमि पर गौर करे तो तस्वीर काफी कुछ साफ हो जाती है।

मीडिया में पिछले कई दिनों से बाबा रामदेव ने जिस तरह से पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा किया और उसके बाद फिर अचानक आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनैतिक दल के लिए प्रचार नहीं करने की घोषणा की, तब से भाजपा का आंतरिक सियासी पारा काफी गर्म हो गया था। भाजपा को डर था कि यदि बाबा की नाराजगी समय रहते दूर ना की गयी तो रिश्तों की इस तपिश में झुलसना लाजिमी है।

अमित शाह ने लिया यज्ञ में भाग, भैय्या जी जोशी रहे मौजूद

Advertisement

अमित शाह के हरिद्वार के इस दौरे को इसी चश्मे से देखा जा रहा है। 27 सितम्बर को अमित शाह हरिद्वार पतंजलि योगपीठ पहुंचे और आचार्यकुलम के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने बाबा रामदेव का आशीर्वाद भी लिया और बाद में दोनों के बीच हंसी-मजाक भी हुआ। इसी के साथ शाह ने पतंजलि में आयोजित एक बड़े यज्ञ में भाग लिया। इस अवसर पर केंद्र से लेकर प्रदेश भाजपा के नेताओं का जमावड़ा तो था ही, इसके अलावा यहां पर आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैय्या जी जोशी की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी थी कि कहीं न कहीं बाबा रामदेव की नाराजगी से संघ भी अवगत है। इसलिए भैय्या जी जोशी का ऐसे अवसर पर मौजूद रहे। माहौल को हल्का बनाने के लिए इस कार्यक्रम को माध्यम बनाया गया था।

बाबा रामदेव के बदले थे सुर

पिछले दिनों बाबा रामदेव ने मीडिया समेत कई स्थानों पर सार्वजानिक रूप से स्पष्ट पेट्रोल-डीजल की कीमते बढ़ने पर केंद्र की घेराबंदी की। एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर तो बाबा ने यहां तक कह दिया कि पेट्रोल की बिक्री का काम मुझे दिलवा दो मैं ग्राहकों को 35 रूपये लीटर दूंगा। इसके बाद बाबा रामदेव ने जब यह ऐलान किया कि अगले लोकसभा चुनाव में वह किसी भी सियासी दल का प्रचार नहीं करेंगे तो भाजपा के भीतर का माहौल गर्म हो उठा।

पिछली बार किया था नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन

पिछली बार बाबा रामदेव ने अपने ‘भारत स्वाभिमान ट्रस्ट’ के बैनर तले देश भर में अभियान चलाकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचार किया था। इतना ही नहीं, बाबा हरिद्वार से यह कहकर निकले थे कि जब तक मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे तब तक वह हरिद्वार नहीं लौटेंगे। हालांकि बाबा की इस घोषणा को अन्य राजनीतिक दलों ने बहुत हल्के में लिया था।

तल्खी दूर करने की कवायद?

बहरहाल, अमित शाह का यह दौरा बाबा के पिछले चुनाव में खुलकर दिए गए साथ के मद्देनजर पिछले दिनों रिश्तों में आई तल्खी को खत्म करने के लिए हुआ, ऐसा राजनितिक पंडितों का मानना है। हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने इन सभी कयासों को खारिज करने की कोशिश की और कहा कि यह पूरी तरह से गैर-राजनैतिक कार्यक्रम था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष कुछ भी कहें लेकिन तस्वीर पानी की तरह साफ है कि पिछले दिनों बाबा रामदेव के रुख को देखकर भाजपा सतर्क हो गई है और भाजपा शीर्ष नेतृत्व को खुद ही कमान हाथ में लेनी पड़ी क्योंकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को पता था कि यह मामला उत्तराखंड भाजपा या सरकार के बूते का नहीं है।

बाबा रामदेव रखते हैं पैठ

वैसे भी हर लोकसभा चुनाव में बाबा रामदेव की दिलचस्पी रहती है। सूत्रों की माने तो पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बाबा की पसंद पर कुल तेरह टिकट दिए थे। जिनमें एक राजस्थान के आलावा हरिद्वार से रमेश पोखरियाल निशंक, अमरोहा से ब्रहम सिंह तंवर, उत्तर प्रदेश में साक्षी महाराज समेत कई नाम शामिल है। बाबा ने बिजनौर से एडवोकेट राजेंद्र सिंह को टिकट दिलवाया था जो कि बाद में बदला गया और बाद में कुंवर भारतेन्दु को दिया गया। ऐसे में भाजपा के ही तमाम दिग्गज बाबा के संपर्क में हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: BJP, amit shah, baba ramdev, hardwar, uttarakhand
OUTLOOK 29 September, 2018
Advertisement