मणिपुर में नाकेबंदी कानून का घोर उल्लंघन, गृह मंत्रालय ने दी चेतावनी
गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर मणिपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 37 पर जारी नाकेबंदी और इस कारण राज्य के लोगों के समक्ष उत्पन्न आवश्यक खाद्य पदार्थों की कमी पर चिंता जताई। इसने यूनाईटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) से नाकाबंदी हटाने की अपील करते हुए कहा कि सभी विवादों को लोकतांत्रिक और कानूनी माध्यम से सुलझाने की जरूरत है।
मंत्रालय ने कहा, भारत सरकार कानून बनाए रखने को प्रतिबद्ध है। यह पूरे भारत में कहीं भी नाकेबंदी को कानून का घोर उल्लंघन मानता है और मानवता के प्रति अपराध समझता है जिससे लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किसी भी व्यक्ति या संगठन को कानून को अपने हाथों में लेने की अनुमति नहीं होगी।
इसने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार जिम्मेदारी और परिपक्वता से काम करेगी और मणिपुर में आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही सामाजिक सौहार्द भी बनाए रखेगी। गृह मंत्रालय जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार को अतिरिक्त सुरक्षा बल मुहैया कराएगा। यूएनसी द्वारा मणिपुर में अनिश्चितकालीन नाकेबंदी के आह्वान के कारण राज्य में आवश्यक खाद्य पदार्थों और पेट्रोल की काफी कमी हो गई है। नाकेबंदी 40 दिनों से ज्यादा समय से चल रही है जिससे पेट्रोल की कमी के कारण परिवहन सेवा ठप्प है। इसके अलावा अन्य व्यवसाय भी बाधित हो रहा है।
इससे मणिपुर और खासकर घाटी में रहने वाले लोगों पर काफी विपरीत असर पड़ा है। बयान में कहा गया है कि केंद्र इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि मणिपुर जाने वाले मार्गों को खोला जाए और पेट्रोलियम पदार्थों और अन्य आवश्यक पदार्थों सहित सभी चीजें वहां पहुंचें।
पिछले हफ्ते केंद्रीय बलों की 15 अन्य कंपनियां राज्य सरकार को मुहैया कराई गई थीं ताकि वे नाकेबंदी को हटवा सकें। बयान में कहा गया है, भारत सरकार सभी से उम्मीद करती है कि मणिपुर में कानून व्यवस्था बनाए रखने और खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता में सभी सहयोग करें। केंद्र सरकार ने यूनाईटेड नगा काउंसिल से भी अपील की कि मणिपुर के लोगों की समस्याओं को देखते हुए अवैध नाकेबंदी को खत्म करे।
बयान में कहा गया है, सभी विवादित मुद्दों का शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक और कानूनी तरीकों से समाधान करने की जरूरत है।
भाषा