केंद्र सरकार को झटका, उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की केंद्र सरकार की घोषणा निरस्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार उपयुक्त नहीं है। उच्च न्यायालय ने 29 अप्रैल को सदन में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया। यही नहीं हाईकोर्ट ने यह भी कहा कांग्रेस से बगावत करने वाले 9 बागी विधायकों को दल-बदल कर संविधानिक पाप करने के आरोप में अयोग्य घोषित होकर अपनी करनी का फल भुगतना होगा। मुख्य न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति वी.के. बिष्ट की एक पीठ ने राज्य में राष्ट्रपति शासन से पहले की स्थिति लागू कर दी है। इससे पहले लगाताचार चौथे दिन सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि अगर अब केंद्र राष्ट्रपति शासन लागू करने का अपना आदेश वापस लेता है तथा किसी और को सरकार बनाने की अनुमति देता है तो यह न्याय का उपहास होगा। उच्च न्यायालय ने यह तीखी टिप्पणी तब की जब सरकार के वकील इस मामले में फैसला सुनाए जाने तक वर्तमान स्थिति बनाए रखने के संबंध में एक हलफनामा देने में नाकाम रहे।
नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर खुशी जताते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय का फैसला उत्तराखंड के लोगों की जीत है। रावत ने कहा, पूरा देश जानता है कि उत्तराखंड की राजनीतिक अस्थिरता के पीछे कोैन है, राज्य में भाजपा अप्रासंगिक हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने भी उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि शक्ति के बल पर प्रदेश में लोकतंत्र की हत्या करने वालों को अदालत ने सबक सिखा दिया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस फैसले से जनता का न्यायपालिका में विश्वास बढेगा। उधर कोर्ट के इस फैसले पर भाजपा ने कहा कि उत्तराखंड में हरीश रावत के पास बहुमत नहीं है और यह 29 अप्रैल को साबित हो जाएगा। फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के महासचिव कैलाश विजवर्गीय ने कहा, पिछले तीन दिनों से सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट से जिस तरह की टिप्पणियां आ रही थीं उसको देखते हुए आज के इस फैसले पर हमें कोई आश्चर्य नहीं है।