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20 June 2018

आंदोलन की राह पर छत्तीसगढ़ की पुलिस, चुनाव से पहले ‘रमन सरकार’ के लिए बड़ी चुनौती

छत्तीसगढ़ में भड़क रहे पुलिस आंदोलन को लेकर सूबे की सियासत गरमाई हुई है। जहां प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा मिल गया है, वहीं रमन सरकार के लिए यह चुनौती साबित हो रही है। लिहाजा सरकार इसे दबाने की कोशिशों में जुट गई है।

दरअसल, वेतन, भत्ते और छुट्टियों सहित सुविधाओं की दस सूत्रीय मांग को लेकर पुलिसकर्मी सरकार के व्यवहार से नाराज हैं। लेकिन वो कानूनी तौर पर आम सरकारी कर्मचारियों के जेसे धरना-प्रदर्शन नहीं कर सकते। ऐसे में तोड़ निकालते हुए उन्होंने अपनी मांगों के रखने के लिए अपने परिवार वालों को आगे किया है। उनके परिजनों द्वारा 25 जून को राज्य भर में महाधरने का ऐलान किया गया है। प्रस्तावित धरने की घोषणा के बाद राज्य का गृह विभाग पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के समझाने-बुझाने में लग गया है।

पुलिसकर्मियों के परिजनों ने मंगलवार को दुर्ग जिला मुख्यालय में सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना दिया। जिसके बाद उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार ने पुलिसकर्मियों की मांगों की अनदेखी की तो 25 जून को पुलिसकर्मियों के परिजन राज्य के सभी 27 जिलों में महाधरना देगा।

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ये हैं मांगें

राज्य के सभी तृतीय वर्ग के पुलिस कर्मचारी वेतन भत्ते, आवास, पेट्रोल भत्ते जैसी मांगों को लेकर आंदोलित हैं। उनकी मांग है कि वेतन और भत्ते केंद्र सरकार के तृतीय वर्ग कर्मचारियों के बराबर हो। आवास भत्ता उपलब्ध बल के अनुरूप किया जाए। इसी प्रकार शासकीय कार्य हेतु वर्तमान में सायंकाल भत्ता दिया जा रहा है, उसे पेट्रोल भत्ता करते हुए कम से कम 3,000 रुपये दिया जाए।

पुलिस किट व्यवस्था को मध्यप्रदेश की तरह बंद कर किट भत्ता दिया जाए। ड्यूटी के दौरान मरने वाले कर्मचारी को शहीद का दर्जा देते हुए मध्यप्रदेश की तरह 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि और परिवार के 1 सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। अवकाश की पात्रता को अन्य विभागों की तरह अनिवार्य किया जाए और सप्ताह में एक दिन छुट्टी निश्चित की जाए। अन्य विभागों की तरह राज्य के तृतीय वर्ग पुलिस कर्मचारियों के परिवार के मुफ्त इलाज की व्यवस्था मुहैय्या कराई जाए।

अन्य विभागों की तरह पुलिस के ड्यूटी करने का समय 8 घंटे निश्चित किया जाए और निर्धारित समय से काम कार्य लेने पर अतिरिक्त भुगतान दिया जाए। इसके अलावा उनकी मांगें है कि नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात बल को उच्च मानक के सुरक्षा उपकरण जैसे बुलेट प्रूफ जैकेट और अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराए जाएं और मध्य प्रदेश पुलिस की तरह वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नत किया जाए।

पुलिस जवान को उसके सेवाकाल में कम से कम तीन प्रमोशन अनिवार्य रूप से किए जाए। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारियों के ग्रेड-पे में अंतर है, पटवारी का ग्रेड पे 2400, नर्सिंग स्टाफ का ग्रेड-पे 2800 और आरक्षकों का ग्रेड-पे 1900 है, पुलिस जवानों का ग्रेड-पे भी 2800 होना चाहिए।

क्या कह रही है सरकार?

शुरुआत में राज्य सरकार इस मसले पर कुछ भी बोलने से बचती रही लेकिन ज्यादा दबाव बनने पर उन्होंने सरकार द्वारा पुलिस के लिए किए जा रहे कामों का बखान करना शुरू कर दिया। गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकार नक्सल मोर्चे पर तैनात पुलिस जवानों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य जिलों में पदस्थ पुलिस कर्मियों के लिए भी आवश्यक सुविधाओं में वृद्धि कर रही है और उन्हें हर संभव बेहतर से बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं।

पैकरा ने मीडिया को बताया कि राज्य सरकार द्वारा पुलिस कर्मचारियों की लगातार कठिन और चुनौतीपूर्ण ड्यूटी को ध्यान में रखकर उन्हें एक महीने का अतिरिक्त वेतन भी दिया जा रहा है। साथ ही उनके लिए 15 दिनों के विशेष आकस्मिक अवकाश का भी प्रावधान किया गया है, जो शासन द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न अवकाशों से अलग है। इसे केवल पुलिस कर्मचारियों को ही दिया जाता है। पुलिस बल को आधुनिक संसाधनों से भी सुसज्जित किया जा रहा है, ताकि वे अपनी ड्यूटी और भी प्रभावी ढंग से कर सकें। गृह मंत्री ने बताया कि शहीद पुलिस कर्मियों के आश्रितों के लिए विशेष अनुग्रह अनुदान राशि को एक अप्रैल 2010 से बढ़ाकर 15 लाख रूपए कर दिया गया है। इसके अलावा शहीद सहायक आरक्षकों के आश्रित परिवार को पांच लाख रूपए की विशेष अनुग्रह अनुदान राशि दी जाती है।

समर्थन में आई कांग्रेस

मंगलवार को पुलिस परिवारों के समर्थन में कांग्रेसी भी सड़कों पर उतर आए। कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता जुलूस निकालकर गृहमंत्री के आवास का घेराव करने निकल पड़े। हालांकि पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया।

परिजनों को रोकने पुलिस कर्मचारियों पर दबाव

पुलिस कर्मचारियों के परिजनों को आंदोलन करने से रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद दिखाई दे रही है। नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने आउटलुक को बताया कि उन पर लगातार पुलिस अधिकारियों द्वारा दबाव बनाया जा रहा है कि वे अपने परिवार वालों को धरना-प्रदर्शन करने से रोकें,अन्यथा उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में सरगुजा पुलिस अधीक्षक का पत्र भी सामने आया है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि यदि पुलिस कर्मचारियों के परिवार वाले इस धरने में शामिल होते हैं तब ये थाना प्रभारी और रक्षित निरीक्षक की जिम्मेदारी होगी।

शिक्षाकर्मी के बाद पुलिस को कैसे साधेगी सरकार?

पिछले दिनों  राज्य में कार्यरत शिक्षाकर्मियों को संविलियन का तोहफा देते हुए रमन सरकार ने लाखों लोगों की नाराजगी को दूर किया। राज्य में होने वाले चुनाव से पहले इसे बड़ा ऐलान माना गया। लेकिन शिक्षाकर्मियों का आंदोलन खत्म होते ही पुलिस कर्मचारियों की ओर से नाराजगी खुलकर सामने आ गई। ऐसे में सरकार के पास उनकी मांगों को पूरी करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा है। हालांकि इस वक्त रमन सरकार किसी भी तरह से 25 जून को होने वाले धरने को स्थगित कराने के लिए जोर लगा रही है।

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TAGS: Chhattisgarh police, agitation, big challenge, Raman Sarkar, election
OUTLOOK 20 June, 2018
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