वर्मा को नहीं मिली जमानत, छत्तीसगढ़ सीडी कांड की सियासत
रवि भोई
छत्तीसगढ़ के लोक निर्माण, आवास, पर्यावरण और परिवहन जैसे कमाऊ विभागों के मंत्री राजेश मूणत की कथित अश्लील सीडी कांड में पत्रकार विनोद वर्मा को जमानत नहीं मिली, जबकि उनकी गिरफ्तारी पर भी कई तरह के संदेह उठाए जाते रहे हैं। आखिर मूल शिकायतकर्ता भाजपा कार्यकर्ता प्रकाश बजाज की एफआइआर में उनका नाम भी नहीं था। जाहिर है, यह मामला जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा गहरे इसके सियासी तार जुड़े हुए हैं। धान और तेंदूपत्ता बोनस बांटकर चुनाव तैयारियों और राज्योत्सव में लगी रमन सरकार के लिए सीडी कांड बड़े झटके जैसे रहा। फिलहाल सीडी कांड के मुख्य किरदार पत्रकार विनोद वर्मा पर शिकंजा कसने के साथ पूरी भ्ााजपा व सरकार सीडी कांड की तोड़ निकलने और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल पर चौतरफा हमला कर साख बचाने में जुटी दिखी।
सीबीआइ जांच के मायने
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की, जबकि कैबिनेट की बैठक के पहले रमन सिंह सीडी की फाेरेंसिक जाँच के आदेश दे चुके थे। कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने सीडी की सत्यता की उच्च स्तरीय जाँच की मांग की थी। लेकिन कांग्रेस सीबीआइ जांच की जगह किसी हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच चाहती है। वहीं, अजीत जोगी अंतागढ़ सीडी कांड की सीबीआइ जांच की मांग कर राजनीतिक फायदे तलाशने में लगे हैं। कहा जा रहा है कि सीबीआइ जांच के बहाने सरकार राजेश मूणत को बचा ले गई, सीबीआइ जांच से मामला लटक गया। पत्रकार की गिरफ्तारी से दिल्ली में अच्छे संकेत नहीं जाने के कारण भ्ााजपा हाइकमान ने सीबीआइ को मामला सुपुर्द करने को कहा। लेकिन कोर्ट में मामला तो जायेगा, ऐसे में कार्रवाई के तरीके और सीडी के बारे में और कई खुलासे की उम्मीद की जा रही है।
एकजुट भ्ााजपा ?
पिछले कुछ महीने से भ्ााजपा में शीतयुद्ध जैसा माहौल चल रहा है। पिछले दिनों प्रभार जिले बांटने में जिस तरह दिग्गज मंत्रियों के पर कतरे गए, उससे भी साफ लग गया कि सरकार और भ्ााजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बृजमोहन अग्रवाल के मुद्दे पर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पार्टी हाईकमान को जिस तरह की रिपोर्ट दी थी, उससे तकरार साफ दिखाई दी थी। पर राजेश मूणत के मामले में पूरी पार्टी और सरकार एकजुट दिखी। मंत्रियो ने मूणत के पक्ष में बातें रखीं। प्रदेश भ्ााजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और अन्य पदाधिकारी भी साथ दिखे। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में उलझे गृह मंत्री रामसेवक पैकरा और स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं , वहीं, दान की जमीन खरीदने के मामले में बृजमोहन अग्रवाल ने भी अकेले लड़ाई लड़ी।
आक्रामक भ्ााजपा
अश्लील सीडी कांड में भ्ााजपा काफी आक्रामक रही और किसी भी परिस्थिति में दबाव में न आने की रणनीति पर काम किया। कांग्रेस और आप पार्टी ने इस कांड के विरोध में राजेश मूणत के बंगले जाकर नेम प्लेट पर कालिख पोत दी तो अगले दिन भ्ााजपा कार्यकर्ताओं ने भूपेश के नेम प्लेट के साथ वैसा ही बर्ताव किया। भ्ााजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की रैली में भी काफी ग़दर किया।
अलग-थलग पड़े भूपेश
सीडी कांड में भ्ााजपा पर हमले के मामले में भूपेश अकेले ही दिखाई दिए। कहा जा रहा है कि भूपेश के पास सीडी तो महीने पहले पहुंच गई थी। वह सही वक्त और समय का इंतजार कर रहे थे। लेकिन फायदा लेने से पहले कांग्रेस का प्लान चौपट हो गया। कहा जा रहा है कि संभवतः भूपेश बघेल और विनोद वर्मा की फ़ोन पर हुई बातचीत से मामला खुल गया और सरकार को आक्रामक कदम उठाना पड़ा। लेकिन सीडी के बारे में भूपेश ने पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं से कोई चर्चा नहीं की थी। भूपेश बघेल और विनोद वर्मा के बीच रिश्तेदारी की बात भी कही जा रही है। भूपेश बघेल भी मान रहे है कि विनोद वर्मा उनके दूर के रिश्तेदार हैं। उनका कहना है कि उनकी रिश्तेदारी तो भ्ााजपा नेताओं के परिवार से भी है। रिश्तेदारी को भ्ााजपा मुद्दा बनाकर, साथ में सीडी की कॉपी रखने का आरोप लगाते इस कांड में भूपेश बघेल के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। पिछले दिनों राज्य के आदिवासी इलाके दंतेवाड़ा, बीजापुर और कांकेर के नरहरपुर में कांग्रेस की सभाओं में जिस तरह लोगों ने उत्साह दिखाया, उससे भूपेश का कद बढ़ गया था, लेकिन सीडी कांड में दांव सटीक नहीं बैठने से नुकसान भूपेश का ही नजर आ रहा है।
मूणत टारगेट में क्यों ?
राजेश मूणत 2003 में पहली बार विधायक बनने के साथ मंत्री बन गए। पिछले 14 साल से मंत्री हैं। हमेशा इनके पास कमाऊ विभाग रहे है। अभी लोक निर्माण, आवास, पर्यावरण और परिवहन जैसे विभाग उनके पास है। आवास, पर्यावरण के तहत नया रायपुर का पूरा काम है। पीडब्लूडी में छह हजार करोड़ का बजट है। मूणत किसी राजनीतिक परिवार से नहीं हैं और न ही उनका कोई बड़ा व्यवसाय है। विधायक बनने से पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रिंटिंग प्रेस का काम देखते थे। मूणत को 2003 में रायपुर ग्रामीण सीट से तब के वजनदार कांग्रेस प्रत्याशी तरुण चटर्जी के खिलाफ उतारा गया था। वे चुनाव जीत गए। मूणत ने अपने विधानसभा में विकास का काफी काम करवाया है, लेकिन अपने तीखे बोल के कारण बदनाम भी हैं। कहा जा रहा है कि संपत्ति और व्यवहार के कारण तो कहीं वे निशाने पर नहीं आ गए?
सीडी बनाने वालों का गिरोह
छत्तीसगढ़ में नेताओं की सीडी बनाने वालों का एक गिरोह काम कर रहा है। अंतागढ़ सीडी कांड में इस गिरोह का नाम सामने आया था। गिरोह के सदस्यों का कांग्रेस और भ्ााजपा के नेताओं से सीधा संबंध्ा भी बताया जा रहा है।
अंतागढ़ सीडी कांड की जांच के लिए पत्र
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अंतागढ़ सीडी कांड की भी सीबीआइ जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को पत्र लिखा है। अंतागढ़ सीडी कांड के चलते अजीत जोगी और अमित जोगी को कांग्रेस से बाहर होना पड़ा थ्ाा। अंतागढ़ सीडी कांड का खुलासा भूपेश बघेल ने की थी। अमित जोगी ने भूपेश बघेल पर अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर सीडी फैक्ट्री चलाने का आरोप लगाया है।
सीडी की राजनीति पुरानी
छत्तीसगढ़ में सीडी का खेल 2003 से चल रहा है। 2003 में छत्तीसगढ़ के कद्दावर भ्ााजपा नेता और तब केंद्र की वाजपेयी सरकार में पर्यावरण राज्य मंत्री रहे स्व. दिलीप सिंह जूदेव की सीडी चर्चा में आई थी, जिसमें उन्हें किसी काम के लिए पैसे की बात करते दिखाया गया था। सीडी में कहा गया उनका डायलॉग ( पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा से कम भी नहीं) काफी चर्चा में रहा। छत्तीसगढ़ में धर्मान्तरण को मुद्दा बनाकर देश की राजनीति में चर्चित शख्सियत बनने वाले जूदेव तब राज्य में भ्ााजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन सीडी कांड के कारण पद से इस्तीफा देना पड़ा और राजनीतिक रूप से हाशिए पर चले गए और पार्टी के भीतर कद भी घट गया। जब जूदेव को सीडी के जरिए लपेटा गया, तब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजीत जोगी थे। सीडी बनाने वालों में कुछ जोगी समर्थकों का नाम आया था। अंतागढ़ सीडी कांड सामने आने पर अजीत जोगी के विधायक पुत्र अमित जोगी को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद अजीत जोगी को भी पार्टी छोड़नी पड़ी। इसमें खुलासा किया गया कि 2014 के अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कुछ लोगों से मिलीभगत कर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी मंतूराम पवार को बैठा दिया गया थ्ाा। इसमें अमित जोगी की प्रमुख भूमिका होने की बात कांग्रेस की तरफ से कही गई। कांग्रेस प्रत्याशी के ऐन वक्त पर मैदान छोड़ने से कई निर्दलीय प्रत्याशी होने के बाद भी यहां बीजेपी को वाक ओवर मिल गया था ।
सीडी से शहीद
यह नहीं भूलना चाहिए कि सीडी के चक्कर में मध्यप्रदेश के मंत्री राघव जी भाई को पद खोना पड़ा। वहां भी बीजेपी की सरकार है। बीजेपी के बड़े कद्दावर माने जाने वाले राष्ट्रीय नेता संजय जोशी को जाना पड़ा। सीडी के फेर में आप सरकार के एक मंत्री की भी छुट्टी हो गई।
तपिश बरकरार
सीबीआइ जांच की घोषणा कर सरकार ने सीडी कांड की दिशा भले बदल दी, लेकिन इस कांड की तपिश ठंडी होती नहीं दिखती। मंत्री की गरिमा प्रभावित हुई है वह लौटकर नहीं आने वाली है। राज्य में एक साल बाद विधानसभा चुनाव होने है ऐसे सीडी कांड के रूप में प्रदेश की राजनीति का जो नया रूप आया है, वह काफी खतरनाक है।