प्रदूषण में सुधार नहीं तो दिल्ली-एनसीआर में पेट्रोल-डीजल गाड़ियां हो सकती हैं बैन
दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर का दम फूल रहा है। प्रदूषण से निजात पाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। दिल्ली के हालात दो दिनों में नहीं सुधरे तो पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों के चलने पर कुछ समय तक रोक लगाई जा सकती है। इसमें टू-वीलर भी शामिल होंगे। पीटीआई के मुताबिक, प्रदूषण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनी अथॉरिटी ईपीसीए के चेयरमैन भूरे लाल ने सोमवार को कहा कि अब हमारे पास कोई रास्ता नहीं बचा है, इसलिए इतने सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।
सिर्फ सीएनजी वाहन चल पाएंगे?
अगर ऐसा होता है तो दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ सीएनजी वाले वाहन ही चल पाएंगे। इसके लिए ईपीसीए की मंगलवार को विभिन्न विभागों के साथ बैठक होगी। ईपीसीए चेयरमैन ने गाड़ियों पर संभावित रोक के बारे में कहा कि अभी तक दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों पर स्टीकर लगाने का काम शुरू नहीं हुआ है, ऐसे में डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों की पहचान संभव नहीं है। इसी वजह से सभी गाड़ियों को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ सकता है।
इस बीच, सोमवार को दिल्ली का 12 घंटे का औसत एयर इंडेक्स 399 रहा। यह पहली बार 400 से नीचे आया है। मंगलवार और बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में हल्की बारिश का अनुमान है। अगर ऐसा हुआ तो प्रदूषण कुछ कम हो सकता है।
निर्माण कार्यों पर बैन में सुबह से शाम तक की छूट
ईपीसीए ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के टास्क फोर्स की वॉट्सऐप से की गईं सिफारिशें मानते हुए दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्य पर लगी रोक में ढील दे दी है। अब सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच कंस्ट्रक्शन किया जा सकेगा। दिल्ली बॉर्डर पर ट्रकों की लंबी लाइन को देखते हुए सोमवार रात 11 बजे से एंट्री के लिए 7 घंटे की छूट दे दी गई है। ईपीसीए ने कहा कि हालात बिगड़े तो रोक दोबारा लगाई जा सकती है।
पराली से कैसे निपटें, 4 राज्यों के मुख्य सचिव होंगे पेश
दिल्ली में हुए प्रदूषण में पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली का अहम रोल है। इसलिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने सोमवार को कहा कि पराली जलाने की समस्या का दीर्घकालिक समाधान खोजने की जरूरत है और 4 राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे उसके समक्ष उपस्थित होकर इसे रोकने के तरीके सुझाएं। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्रीय कृषि सचिव और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि पराली जलाने से रोकने के तरीकों और उसकी रणनीति योजना बनाने के बाद वे लोग 15 नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित हों।