भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने किया राजभवन तक पैदल मार्च, नहीं मिले राज्यपाल
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में आज कांग्रेस विधायकों ने राजभवन तक पैदल मार्च किया। मार्च को राजभवन के पास पुलिस ने बैरीकेटिंग करके रोक दिया। बारिश के बीच कांग्रेस विधायक राजभवन के पास बैरीकेटिंग पर खड़े रहे। इस मौक़े पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा कि वो लगातार राज्यपाल से मिलने के लिए वक्त देने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि प्रजातंत्र में सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष दोनों का अपना-अपना महत्व है। जनता की आवाज़ राज्यपाल तक पहुंचाना प्रतिपक्ष का संवैधानिक अधिकार और प्रतिपक्ष की बात सुनना राज्यपाल का कर्तव्य है। लेकिन प्रतिपक्ष को मिलने का समय ना देकर राज्यपाल अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलने की मांग कर रही है। ताकि प्रदेश के मौजूदा हालात और किसानों के मुद्दे पर चर्चा की जा सके। इस सत्र में कांग्रेस एपीएमसी एक्ट में एमएसपी गारंटी का संशोधन और सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। क्योंकि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि जनविरोध के चलते मुख्यमंत्री, मंत्री और सरकार समर्थित विधायक अपने चुनाव क्षेत्रों में जाने से भी बच रहे हैं। इस बीच सत्ता समर्थित कुछ विधायक जनता के बीच में सरकार के विरोध की बात करते हैं लेकिन चडीगढ़ आकर उसी सरकार को समर्थन देते हैं। अविश्वास प्रस्ताव से साफ हो जाएगा कि कौन-सा विधायक जनता के साथ है और कौन-सा सरकार के साथ। सरकार इस अविश्वास प्रस्ताव से इसलिए डरी हुई है क्योंकि अगर विधानसभा में ये प्रस्ताव आता है तो जनता सत्ताधारी विधायकों पर जनविरोधी सरकार के खिलाफ वोट देने का दबाव बनाएगी। क्योंकि अगर अविश्वास प्रस्ताव में सरकार गिरती है तो इससे केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा और वो किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापिस लेने के लिए मजबूर हो जाएगी। इसी डर से ही विधानसभा स्पीकर ने कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी को बिना कोई नोटिस या वक्त दिए उनकी सदस्यता रद्द कर दी।
हुड्डा ने कहा कि इस्तीफा ना देकर अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के खिलाफ मतदान करना चाहिए, वो इस्तीफा देकर मतदान से बच रहे हैं और जिन्हें जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार से इस्तीफा देना चाहिए था, वो कुर्सी से चिपके हुए हैं। अभय चौटाला के इस्तीफे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि साल 2000 में जब इनेलो सरकार के दौरान कंडेला में किसानों को गोलियों से भूना जा रहा था, तब उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया। इस अविश्वास प्रस्ताव से उन लोगों का सच सबके सामने आ जाएगा जो किसान आंदोलन की आड़ में सिर्फ राजनीतिक खेल खेल रहे हैं और सरकार के साथ अप्रत्यक्ष गठबंधन चला रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऐलनाबाद और कालका की सीट खाली होने से सरकार को कुछराहत जरूर मिली होगी। लेकिन ये निश्चित है कि जनता का विश्वास खो चुकी ।लेकिन इस तरह सरकार अपने बोझ से खुद ही गिर जाया करती है।