मणिपुर में फंसे कई मलयाली लोग, केन्द्र को पत्र लिखकर कांग्रेस ने सुरक्षा सुनिश्चित करने का किया आग्रह
कांग्रेस ने मणिपुर की दुखद घटनाओं पर चिंता जताते हुए भाजपा शासित केंद्र से पूर्वोत्तर राज्य में फंसे मलयाली लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। दरअसल, केरल में कैथोलिक चर्च के एक शीर्ष निकाय द्वारा मणिपुर में कथित जातीय हिंसा की निंदा करने के एक दिन बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने यह आग्रह किया है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता (LoP) और कांग्रेस नेता वी डी सतीशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया है। सतीशन ने पत्र में "मणिपुर राज्य में ईसाई चर्चों के साथ हुई बर्बरता और ईसाई समुदाय के सदस्यों के उत्पीड़न की दुखद घटनाओं" की चर्चा कर चिंता जताई और कहा, "कांग्रेस के शासनकाल में वहां शांति थी, मगर अब सब बदल गया है।"
उन्होंने लिखा, "कई लोग मारे गए हैं, और कई अन्य उत्पीड़न के डर से दूसरे राज्यों में भाग गए हैं। चर्चों में तोड़फोड़ की गई हैं और विभिन्न जगहों पर आग लगा दी गई है। ईसाई आबादी के बीच अत्यधिक सांप्रदायिक तनाव और असुरक्षा है। इस हिंसा के प्रसार को रोकने के लिए संबंधित सरकारों के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।"
नेता ने कहा, "सुप्रसिद्ध मुक्केबाज मैरी कॉम द्वारा मणिपुर में फैली सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता व्यक्त करने के बाद अत्याचारों का पता चला।" उन्होंने कहा कि " मणिपुर फरवरी से उबल रहा है, जब तत्कालीन प्रशासन ने एक निश्चित आदिवासी अल्पसंख्यक को निशाना बनाकर बेदखली अभियान शुरू किया था।" सतीशन ने राज्य और केंद्र सरकार को "मूक दर्शक" कहा है।
सतीशन ने कहा, "मैं राज्य में मौजूदा सांप्रदायिक तनाव को कम करने और मणिपुर राज्य में ईसाई समुदाय के सदस्यों के उत्पीड़न और ईसाई चर्चों की बर्बरता को रोकने के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करता हूं।" पीटीआई के मुताबिक आधिकारिक पुष्टि के अनुसार मणिपुर में जातीय हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है।
विदित हो कि ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्जे की मांग के विरोध में बुधवार को आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा पहली बार भड़की और धीरे धीरे इसने विकराल रूप धारण कर लिया। इसके बाद ही पूरे राज्य में हिंसा बढ़ गई। अब फिलहाल वहां कर्फ्यू में ढील दी जा रही है।