अदालत ने वीरभद्र से पूछा, जांच में शामिल क्यों नहीं हो रहे
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने वीरभद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा, आपका (सिंह) नाम प्राथमिकी में है। आप जांच में क्यों शामिल नहीं होते? हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ का आदेश आपसे जांच में शामिल होने को कहता है। मुद्दा क्या है? आपको जांच में शामिल होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने पूछा, आपकी (सिंह की) मंशा जांच में शामिल होने की है? आप इसे करें। कहां समस्या है? सवाल का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, मुझे कोई समस्या नहीं है।
अदालत ने सीबीआई के आवेदन पर दलीलों पर सुनवाई के दौरान यह बात पूछी। सीबीआई ने अपने आवेदन में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक अक्टूबर, 2015 के अंतरिम आदेश को हटाने की मांग की है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में मामले में एजेंसी द्वारा सिंह को गिरफ्तार करने, पूछताछ करने या आरोप पत्र दाखिल करने पर रोक लगा दी थी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ को इस बात पर फैसला करने के लिए मामला भेजेगी कि क्या एकल पीठ इस याचिका पर विचार कर सकती है क्योंकि अंतरिम आदेश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने दिया था। अदालत ने कहा, यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय को भेजा गया लेकिन तथ्य यह है कि अंतरिम आदेश दो सदस्यीय पीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा, कैसे दो सदस्यीय पीठ के आदेश में एक न्यायाधीश संशोधन कर सकते हैं?
न्यायमूर्ति रानी ने कहा, मैं मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजूंगी ताकि मुख्य न्यायाधीश देख सकें कि इसका क्या किया जाना है। न्यायमूर्ति रानी ने इसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख कल के लिए निर्धारित कर दी। सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से उपस्थित अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पी.एस. पटवालिया ने कहा कि मामले में सीबीआई की जांच हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश की वजह से गंभीर रूप से ठहर गई है।
एएसजी ने अदालत से कहा, हमने इस मामले में अन्य तरह की जांच भी की है और जो तथ्य सामने आए हैं वे बेहद गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिम आदेश के अनुसार सीबीआई न तो सिंह के बयान को रिकॉर्ड कर सकती है और न ही यह उनसे पूछताछ कर सकती है और एजेंसी मामले में अदालत की अनुमति के बिना आरोप पत्र दायर नहीं कर सकती है। पटवालिया ने कहा, बयान दर्ज करना जांच का हिस्सा है। हम ऐसा करने में अक्षम हैं।