हिंसा के बाद जयपुर के इलाकों में कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं बंद
इस हिंसा में आगजनी, पत्थरबाजी के बाद फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई जबकि घायलों में कई पुलिस वाले भी शामिल हैं। हिंसा पर काबू पाने के लिए शहर के चार थाना क्षेत्रों – सुभाष चौक, मानस चौक, रामगंज चौक और जलसा गेट पर कर्फ्यू लगा दिया गया था। अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गईं। क्योंकि सोशल मीडिया के जरिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिशें की जा रही हैं।
पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए ड्रोन कैमरों से की गई निगरानी और फोटोग्राफी में भयावह और डरावना सच सामने आया है। इलाके की सभी छतें पत्थरों,कांच की खाली बोतलों, लोहे के सरियों और तलवारों से छतें अटी पड़ी हैं। इससे साफ है कि मौके बे मौके यहां पर उपद्रव करने का हर समय प्लान रहता है। उधर, हिंसा के बाद एक पुलिसकर्मी गायब है, जबकि एक घायल पुलिसकर्मी की हालत नाजुक बनी हुई है। शनिवार को पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल और डीसीपी सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शांति समिति व सीएलजी सदस्यों के लोगों की बैठक ली।
राजस्थान की राजधानी जयपुर अमन चैन के लिए जाना जाता है। लेकिन शुक्रवार को मोटर साइकिल से जा रहे एक दंपति की पुलिस वाले से झड़प हो गई। इससे गुस्साए लोगों ने पुलिकर्मी पर कार्रवाई की मांग करते हुए थाने का घेराव किया। इसी दौरान कुछ लोगों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी और एक बिजली घर को आग लगा दी। इस दौरान कई वाहनों में आगजनी की गई।
हिंसक भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई जबकि पथराव व आगजनी में दर्जन भर लोग घायल हैं। घटना के बाद कमोबेश परकोटे वाले पूरे जयपुर को अफवाहों की आग की चपेट में ले लिया। शुक्रवार शाम 7.30 बजे से शुरू हुआ मामूली विवाद रात 1.30 बजे कर्फ्यू में बदल गया। सुबह होते-होते शहर भर की इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। क्योंकि सोशल मीडिया के जरिए तनाव भड़काने की कोशिशें की जा रही थीं।
अब तक पांच मुकदमे दर्ज
इस विवाद में अभी तक अलग-अलग लोगों की ओर से पांच मुकदमे दर्ज हुए हैं। इनमें एक मुकदमा उस महिला की ओर से करवाया गया है जो पति व बच्चे के साथ दुपहिया पर आ रही थी और पुलिसकर्मी ने कथित तौर पर डंडे से वार किया था। उस महिला ने संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट का मुकदमा दर्ज करवाया है। वहीं एक मुकदमा पुलिस की ओर से करवाया गया है जिसमें उपद्रवियों के खिलाफ मारपीट, तोड़फोड़, आगजनी और राजकार्य में बाधा जैसी गंभीर धाराओं में हुआ है। तीन मुकदमे मीडियाकर्मियों की ओर से करवाए गए हैं, जिनमें तोड़फोड़ व मारपीट, गाड़ियां जलाने और कैमरे छीनने सहित कई अन्य तरह से नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं।
शांति बहाली के प्रयास
उपद्रव के बाद से कमिश्नरेट के आला अधिकारी रामगंज थाने पर डेरा डाले हुए थे। क्षेत्र की शांति समितियों के सदस्यों से बातचीत की जा रही है। खुद कमिश्नर ने भरोसा दिलाया कि पुलिस आम लोगों के साथ है, लेकिन उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, आम लोगों को परेशान नहीं किया जाएगा।
डीसीपी नाॅर्थ सत्येंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि शांति समितियों के सदस्यों से बातचीत हो गई है। समिति के लोग घर-घर जाकर समझाइश करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इस समूचे मामले की जांच की जाएगी। वीडियोग्राफी की फुटेज देखकर आरोपियों को घेरा जाएगा। दूसरी तरफ शहर काजी उस्मान खालिद ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है।
हालात पर नजर
रामगंज बाजार में उपद्रव के बाद कमिश्नरेट के साथ-साथ पुलिस मुख्यालय भी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए थे। सुबह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह ने फीडबैक दिया। कमिशनर संजय अग्रवाल ने रात से लेकर सुबह तक की पूरी स्थिति से सीएम को अवगत करवाया।