इराक में मारे गए भारतीयों के परिजनों में रोष, कहा- मोदी सरकार ने 4 साल तक धोखे में रखा
- हरीश मानव
करीब 4 साल पहले इराक के शहर मोसुल में ISIS आतंकियों के चंगुल में फंसे लापता चल रहे 39 भारतीयों के बारे में मंगलवार को संसद में केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बयान दिया। उन्होंने बताया कि इराक में सभी 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है। यह सुनते ही पंजाब दहल उठा क्योंकि मरने वाले 39 लोगों में से 22 पंजाब के हैं और 4 हिमाचल प्रदेश के। सदन में बताया गया कि 38 लोगों का डीएनए मैच हो गया है, जबकि 39वें का डीएनए 70 प्रतिशत तक मैच हो गया है। लाशों के ढेर में से भारतीयों के शवों को ढूंढा गया जिसके बाद उनके मारे जाने का पता चला। विदेश मंत्री ने बताया कि इन 39 भारतीयों के शवों को अमृतसर एयरपोर्ट लाया जाएगा। जब परिजनों को बताया गया कि भारत सरकार ने डी.एन.ए. टेस्ट के सैंपल मिलने के बाद अब सबूत के साथ बयान दे रही है तो परिजनों का सब्र फूट पड़ा।
मृत युवकों के घरों में हाहाकार मचा है। ‘आउटलुक’ ने कुछ पीड़ित परिवारों के सदस्यों से बातचीत की।
2014 में इराक में मारे गए होशियारपुर के कमलजीत सिंह की मां संतोष कुमारी व पिता प्रेम सिंह, होशियारपुर जिले के ही गांव जैतपुर के युवक गुरदीप सिंह की पत्नी अनीता को इस बात का मलाल है कि भारत सरकार उन्हें इतने सालों से यह कहकर धोखें में क्यों रखा कि सभी 39 भारतीय सुरक्षित हैं।
इराक में मरे मनजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर कौर ने कहा कि पिछले 4 सालों से विदेश मंत्रालय मेरे भाई मनजिंदर के जीवित होनी की बात कह रहा था। समझ नहीं आ रहा किस पर विश्वास करें? मैं सुषमा स्वराज जी से बात करने की प्रतीक्षा कर रही हूं। हमें अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली।
39 में से 31 पंजाब के
गौरतलब है कि लापता चल रहे 39 भारतीयों में शामिल पंजाबी युवकों में होशियारपुर के कमलजीत सिंह व गुरदीप सिंह, अमृतसर जिले के निशान सिंह, मनजिन्द्र सिंह, जतिन्द्र सिंह, हरसिमरनजीत सिंह, सोनू, गुरचरण सिंह व रंजीत सिंह, बटाला के कंवलजीत सिंह, हरीश कुमार, मलकीत सिंह, गुरदासपुर जिले के राकेश, धर्मेन्द्र कुमार, कपूरथला जिले के गविन्द्र सिंह, जालंधर जिले के बलवंत राय, कुलविन्द्र सिंह, रुपलाल, सुरजीत सिंह, दविन्द्र सिंह, रविन्द्र कुमार, धुरी के प्रीतपाल शर्मा, हिमाचल प्रदेश के अमन कुमार, इंद्रजीत व संदीप कुमार, बिहार के संदीप आदि शामिल हैं।
चश्मदीद गवाह हरजीत मसीह ने कहा मुझे सच बोलने की सजा मिली
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा इराक के मोसुल में फंसे 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि करने के बाद हरजीत मसीह का बयान सामने आया है। हरजीत मसीह वही एकमात्र शख्स है जो ISIS के चुंगल से बच निकला था। वह लंबे समय से दुहाई दे रहा था कि इराक में उसके 39 साथियों को ISIS ने मार गिराया है पर उस समय उसकी बातों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया।
आज सुषमा स्वराज का बयान सामने आने के बाद मसीह ने कहा कि उसके दावे को केन्द्र सरकार ने झूठा करार देते हुए उसे कई झूठे केसों में फंसाकर जेल मे डाल दिया था। आज उसकी केन्द्र सरकार ने 39 भारतीयों की आंतकियों द्वारा हत्या किए जाने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने मांग की है कि मेरे पर दायर सभी झूठे केस वापिस लिए जाए तथा मुझे मुआवजा दिया जाए। हरजीत मसीह के वकील मुनीष कुमार के मुताबिक, हरजीत 31 जुलाई 2013 को कुछ अन्य नौजवानों के साथ रोजगार की तलाश में ईराक गया था। 14 जून 2014 को आंतकियों ने 39 भारतीय नौजवानों का अपहरण कर लिया था, जबकि वह उनके चुंगल से बच निकला था। तब उसने भारत आने की कोशिश की। उसे ईराक बार्डर पर भारतीय दूतावास के लोगों ने पकड़ लिया और दिल्ली भेज दिया। कुछ माह उसे भारत सरकार की गुप्तचर ऐजैंसियों ने अपने पास रखकर पूछताश की। तब उसने उन्हे स्पष्ट कर दिया था कि भारतीय नौजवानों का आंतकियों ने अपहरण कर मौत के घाट उतार दिया है। पंरतु उसकी बात का किसी ने यकीन नही किया।
सुषमा स्वराज ने जो कहानी सुनाई उस पर सवाल खड़े हुए
सुषमा ने राज्यसभा में बताया कि इराक में एक भारतीय हरजीत मसीह किसी तरह बचकर भारत लौट आया था लेकिन उसने जो कहानी सुनाई थी, वह झूठी थी। सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में बताया कि हरजीत मसीह ने अपना नाम बदलकर अली कर लिया और वह बांग्लादेशियों के साथ इराक के इरबिल पहुंचा, जहां से उसने सुषमा स्वराज को फोन किया था। स्वराज ने कहा कि ISIS के आतंकियों ने एक कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीयों को एक टेक्सटाइल कंपनी में भिजवाने को कहा था। उनके साथ कुछ बांग्लादेशी युवा भी थे। यहां पर उन्होंने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग-अलग नाम रखने को कहा लेकिन हरजीत मसीह ने अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। यहां से वह इरबिल पहुंच गया। सुषमा ने बताया कि यह कहानी इसलिए भी सच्ची लगती है क्योंकि इरबिल के नाके से ही हरजीत मसीह ने उन्हें फोन किया था। सुषमा ने आगे बताया, 'हरजीत की कहानी इसलिए भी झूठी लगती है क्योंकि जब उसने फोन किया तो मैंने पूछा कि आप वहां (इरबिल) कैसे पहुंचे? तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं पता।' सुषमा ने आगे कहा, 'मैंने उनसे पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने बस यह कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो।'
मसीह ने बताया था कि किस तरह आईएस के आतंकी 50 बांग्लादेशियों और 40 भारतीयों को उनकी कंपनी से बसों में भरकर किसी पहाड़ी पर ले गए थे। उसके मुताबिक, 'आईएस के आतंकी हमें किसी पहाड़ी पर ले गए और हम सभी को किसी दूसरे ग्रुप के हवाले कर दिया। आतंकियों ने दो दिन तक हम सभी को अपने कब्जे में रखा।' मसीह के मुताबिक , 'एक रोज हम सभी को कतार में खड़ा होने को कहा गया और सभी से मोबाइल और पैसे ले लिए गए। इसके बाद उन्होंने दो-तीन मिनट तक गोलियां बरसाईं। मैं बीच में खड़ा था, मेरे पैर पर गोली लगी और मैं नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोग मारे गए।' मसीह ने बताया कि वह किसी तरह वहां से भागकर वापस कंपनी पहुंचा और फिर भारत भाग आया।
पीड़ित परिवारों को नौकरी व मुआवजे की मांग
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि इराक से भागकर जान बचाने में सफल रहे गुरदासपुर के हरजीत मसीह ने तो पहले ही बता दिया था कि वहां 30 से अधिक पंजाबी युवाओं को मार दिया गया था। खबर बेहद दुखद है। वहीं केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि 39 भारतीयों के शवों को वापस लाने के लिए कानूनी प्रक्रियाएं चल रही है, जिसमें 8-10 दिन का समय लग सकता हैं। विपक्ष के नेता सुखपाल खेहरा ने मारे गए सभी 31 पंजाबी युवाओं के परिवारों में एक सदस्य को नौकरी व हरेक परिवार को 31 लाख रुपए मुआवजे की मांग की है।