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01 May 2015

हम भी दिल्ली के पेड़ों से झूल जाएंगेः लखोवाल

पीटीआई

शुक्रवार को जंतर-मंतर पर पंजाब से भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-लखोवाल) के बैनर तले आए किसानों में सरकार के खिलाफ उबाल था। न केवल उन्होंने बैरिकेट्स तोड़े बल्कि पुलिस से भी उनकी हाथापाई हुई। किसानों का कहना है कि अभी तो यह ट्रेलर है। इस किसान जत्थेबंदी के नेता और पंजाब मंडी बोर्ड के प्रधान अजमेर सिंह लखोवाल ने कहा कि ‘दिल्ली में एक किसान ने आत्महत्या कर ली तो सभी की ऐसी-तैसी फिरी हुई है, सरकार अपनी हरकतों से बाज आए नहीं तो दिल्ली के पेड़ों से लटक कर किसान आत्महत्या करेंगे।’

 

लखोवाल ने बताया कि गेंहू बेचने के बाद आढ़ती किसान को एक फॉर्म देता है, जिसे ‘जे’ फॉर्म कहा जाता है। इस फॉर्म से निश्चित हो जाता है कि किसान की फसल खरीद ली गई है लेकिन पंजाब में आढ़तियों ने किसानों की फसल तो रख ली है, बदले में उन्हें एक पर्ची दे दी है। अगर मंडी में पड़ी फसल खराब हो जाए तो किसान के पास कोई सुबूत नहीं है कि यह फसल उसने आढ़ती को बेच दी है। गौरतलब है कि पंजाब की मंडियों में 64,000 टन गेंहू आ चुका है और 50,000 टन सरकार द्वारा खरीदा जा चुका है।

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इन किसानों की दूसरी मांग यह है कि इस दफा मौसम की मार से जो फसल खराब हुई है उसपर सरकार वैल्यू कट नहीं लगाए। गौरतलब है कि किसानों की खराब फसल पर सरकार ने 11 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से वैल्यू कट लगाया है। लखोवाल का कहना है कि आज केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन से मुलाकात करने पर वह वैल्यू कट हटाने की मांग पर तो राजी हो गए हैं लेकिन किसानों की मांग है कि यह वैल्यू कट भविष्य में भी न लगाया जाए क्योंकि किसान ने तो फसल पर खर्चा किया, उसे लगाया और सींचा लेकिन बेमौसम बरसात या ओले गिरने से अगर वह बरबाद हो जाती है तो इसमें किसान की क्या गलती है। राधामोहन ने इस बात पर आश्वासन दिया है कि वह प्रधानमंत्री से चर्चा करेंगे।

बीकेयू के कैप्टन मुलतान सिंह का कहना है कि आपदा से खराब हुई फसल का मुआवजा किसानों तक नहीं पहुंचता है। इसलिए अच्छा है कि सरकार गेंहू का समर्थन मूल्य बढ़ा दे, ताकि हर किसान को फायदा मिल सके। किसान मास्टर रतन सिंह कहते हैं कि मोदी ने जो बोला था वो नहीं किया। आज मंत्री जी बोल रहे हैं कि हमें समय दो हम अभी दस महीने के बच्चे हैं लेकिन अगर हम गद्दी देना जानते हैं तो इस गद्दी पर दूसरे बच्चे को बिठाना भी जानते हैं। अच्छा है कि वक्त रहते प्रधानमंत्री को हमारी दिक्कतें समझ आ जाएं।

 

राहुल गांधी भी किसानों के मसले पर देश भर में घूम रहे हैं। इस पर अजमेर सिंह लखोवाल का कहना है कि राहुल को राज लेना है तो लड़ना ही होगा। हमारे लिए तो अच्छी ही बात है कि किसानों के हकों के लिए कोई लड़ रहा है।   

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TAGS: जंतर-मंतर, किसान, दिल्ली, प्रधानमंत्री, राहुल गांधी, अजमेर सिंह लखोवाल
OUTLOOK 01 May, 2015
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