हल्दी की खेती, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बोर्ड के गठन की मांग
साथ ही उन्होंने हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग भी की। उन्होंने रबड़, कॉयर और चाय की तर्ज पर हल्दी के लिए बोर्ड गठन की मांग की है। टीआरएस सांसद ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर यह मांग की है। उन्होंने पिछले वर्ष भी प्रधानमंत्री से मिलकर यह मांग की थी मगर अबतक इसपर कोई पहल नहीं होने के कारण उन्होंने एक बार फिर से प्रधानमंत्री को पत्र सौंपकर यह मांग दोहराई है।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि हल्दी मिर्च के बाद भारत से सबसे अधिक निर्यात किया जाने वाला मसाला है इसके बावजूद इसकी संपूर्ण क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा है। गौरतलब है कि भारत दुनिया में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यात देश है। देश में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि पर हल्दी की खेती होती है। इसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा तेलंगाना का है जहां देश की कुल हल्दी का 63 फीसदी उत्पादित होता है। देश में हल्दी उत्पादन के कुल रकबे का 40 फीसदी तेलंगाना में है। उसके अलावा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में भी बड़े पैमाने पर हल्दी की खेती होती है।
टीआरएस सांसद का कहना है कि अगर सरकार डेडिकेटेड हल्दी बोर्ड का गठन करती है तो इससे देश में हल्दी उत्पादन, प्रसंस्करण में नई तकनीक लाने का मौका मिलेगा और साथ ही साथ उसके खपत के नए-नए इलाकों का पता लगाने में मदद मिलेगी।