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02 October 2019

जम्मू में हटाई गई नेताओं की नजरबंदी लेकिन कश्मीर में रहेगी जारी

File Photo

देश आज यानी 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं और पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की 116वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कुछ नेताओं की नजरबंदी (हाउस अरेस्ट) खत्म कर दी है। हालांकि, कश्मीर घाटी में उनके समकक्षों को हिरासत या घर में नजरबंद रखा गया है। जिन नेताओं की नजरबंदी खत्म हुई है उनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) जैसे राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं।

 

 

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इन नेताओं में जम्मू के पूर्व मंत्री डोगरा स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष चौधरी लाल सिंह, नेशनल कॉन्फ्रेंस के देवेंद्र सिंह राणा, सुरजीत सिंह सलाथिया, साजिद अहमद किचलू और जावेद राणा शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस नेता रमन भल्ला और वकार रसूल के साथ जम्मू-कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी के हर्ष देव सिंह को भी नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। इसके साथ ही इन नेताओं पर लगाए गए प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को संविधान के आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही इन सभी नेताओं को एहतिहातन नजरबंद कर दिया गया था।

खंड विकास परिषद चुनाव की घोषणा के बाद लिया गया फैसला

दरअसल, यह फैसला सरकार द्वारा राज्य में पंचायत राज व्यवस्था के दूसरे स्तर के खंड विकास परिषद के लिए चुनाव की घोषणा के कुछ दिनों बाद लिया गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि चूंकि जम्मू क्षेत्र शांतिपूर्ण है, इसलिए राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा सोमवार को खंड विकास परिषद चुनाव के लिए मतदान की घोषणा के बाद लिया गया।

केंद्र सराकार ने 5 अगस्त को लिया बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को बड़ा फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। सरकार ने इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो हिस्से में बांटते हुए अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है। 31 अक्टूबर से कश्मीर और लद्दाख देश को नए केंद्रशासित प्रदेश होंगे।

अभी ये नेता हैं नजरबंद

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने के एक दिन पहले से ही कई अलगाववादी नेताओं को उनके घर पर नजरबंद करके रखा गया है। फारूक अब्दुल्ला भी गुपकर रोड स्थित अपने घर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत नजरबंद हैं। उनको लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है। लेकिन वह अपने परिवार के लोगों से मुलाकात कर सकते हैं। वहीं, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लोगों से मिलने से मना कर दिया गया है। उमर अब्दुल्ला को हरि निवास में कैद रखा गया है, जबकि महबूबा मुफ्ती को चस्मा शाही अतिथिशाला में रखा गया है। इन नेताओं सहित लगभग 400 राजनेता नजरबंदी या फिर हिरासत में हैं। कश्मीर घाटी में पिछले 57 दिनों से इंटरनेट और संचार सेवाओं पर पाबंदी लगी है। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 14 नवंबर से सुनवाई करेगी।

 

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TAGS: Detention, political leaders, Jammu, ended
OUTLOOK 02 October, 2019
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