अयोध्या में शांतिपूर्वक संपन्न हुई धर्मसभा, अब दिल्ली में 10 लाख लोगों को जुटाने का दावा
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देश भर में आरएसएस, विहिप और अन्य आनुषांगिक संगठनों ने नवंबर के पहले सप्ताह से जन जागृति और जागरूकता अभियान छेड़ रखा है। इसी के तहत अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरू में धर्म सभा का आयोजन किया गया। अब दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में नौ दिसंबर को धर्म सभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 10 लाख लोगों के जुटने का दावा किया जा रहा है। अयोध्या में 24 नवंबर को शिवसेना के कार्यक्रम के बाद 25 नवंबर को विहिप की धर्मसभा भी शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई।
10 लाख लोगों के जुटने की संभावना
अब नौ दिसंबर को दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में होने वाली धर्मसभा के लिए आरएसएस, विहिप और अन्य आनुषांगनिक संगठनों ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए एनसीआर और पश्चिमी यूपी के साथ आसपास के जिलों में रोजाना कार्यक्रम किए जा रहे हैं। संघ की दृष्टि से मेरठ महानगर को 32 नगरों में बांटा गया है जिनकी बैठकें 20 नवंबर से चल रही हैं। अब तक मेरठ महानगर के सभी 32 नगरों की बैठक हो चुकी हैं और प्रत्येक नगर की योजनाएं बन चुकी हैं। सभी 32 नगरों के बस प्रमुख और संख्या प्रमुख तय हो चुके हैं।
साथ ही सभी नगरों की बैठकों में उपस्थित रहे कार्यकर्ताओं के द्वारा नौ दिसंबर को रामलीला मैदान दिल्ली में जाने के लिए पत्रक भरवा लिया गया है। सभी नगरों में कार्यकर्ताओं को पत्रक दे दिए गए हैं। अब सभी कार्यकर्ता अपने अपने नगरों के गांव, मोहल्ले और बस्तियों में जाकर जनसंपर्क करेंगे। इसके अलावा नौ दिसंबर को दिल्ली जाने वाले लोगों से इस पत्रक में लिखी जानकारी भरवायेंगे, जो भी व्यक्ति कार्यक्रम में शामिल होना चाहेगा, उसकी पूरी जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर आदि पहले ही पत्रक में भरे जाएंगे। इन पत्रकों के माध्यम से नौ दिसंबर को कितने लोग दिल्ली जाने वाले हैं, पहले ही संख्या का अनुमान हो जाएगा। मेरठ महानगर से 600 बसों के द्वारा 30 हजार राम भक्तों को दिल्ली ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। मेरठ प्रांत से 5571 बसों के द्वारा साढ़े तीन लाख लोग दिल्ली जाएंगे। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों से करीब 10 लाख लोगों के रामलीला मैदान में जुटने की संभावना है।
पीएसपी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या में संचालित गतिविधियों को लेकर राज्यपाल राम नाईक को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वोच्च न्यायालय में लंबित राम जन्म भूमि मसले पर कुछ संगठनों द्वारा अयोध्या में भारी संख्या में भीड़ लाकर देश और प्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। धारा 144 के लगाए जाने के बावजूद भीड़ का एकत्र होना, राज्य और जिला प्रशासन की मंशा पर संदेह पैदा करता है। उन्होंने राज्यपाल से मांग की कि पूर्व अनुभव के आधार पर आप सरकार को यह निर्देश दें कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई व्यवस्था भंग न होने पाए। किसी भी कीमत पर विवादित भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं होनी चाहिए। अगर राज्य और जिला प्रशासन स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं तो प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के लोग आपसे राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने की मांग करते हैं।
एमपी की जनता का ध्यान भटकाने को उछाला गया अयोध्या का भावनात्मक मुद्दा: अखिलेश
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि अयोध्या में आज विहिप, शिव सेना और आरएसएस ने जो उन्माद पैदा किया। इसके पीछे भाजपा की पूरी मदद थी, उसे जनता ने गंभीरता से नहीं लिया। भाजपा के कुत्सित इरादों को विफल करने के लिए जनता धन्यवाद की पात्र है। कालाधन, किसानों की तबाही, नौजवानों की बेरोजगारी, महिलाओं पर अत्याचार आदि तमाम मुद्दों का कोई हल निकालने में भाजपा सरकारों की विफलता को ढंकने के लिए ही सांप्रदायिक उन्माद पैदा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के संकल्प पत्र, घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे, उन्हें सन् 2014 में केन्द्र में बहुमत आने के बाद भी पूरा नहीं किया गया। जनता के मुद्दों से पलायन राजनैतिक बेईमानी है। वादे पूरा न करना राजनीतिक भ्रष्टाचार है। भाजपा आरएसएस की नीति और नीयत दोनों जनविरोधी है। विकास और प्रगति के खिलाफ साजिश करना, समाज को बांटना और नफ़रत पैदा करना उसका स्वभाव है। इसी के चलते 25 नवम्बर को लेकर न केवल अयोध्या अपितु देश-प्रदेश में भी आशंकाएं थीं। प्रशासन ने भी अयोध्या के स्थानीय निवासियों को घरों में कैद कर दिया। दुकानें बंद हैं, बच्चे और मरीज परेशान हैं। माहौल डरावना बना दिया है। यह भी संज्ञान में रखना आवश्यक है कि सभा में वक्ताओं ने जो कुछ कहा, क्या उससे माननीय सर्वोच्च न्यायालय की मर्यादा के विपरीत आचरण तो नहीं है? सच तो यह है कि 28 नवम्बर को मध्य प्रदेश में मतदान होना है। यहां भाजपा को सत्ता से बाहर करने का जनता ने मन बना लिया है। मध्य प्रदेश की जनता जिन परेशानियों से गुजर रही है, उससे उसका ध्यान हटाने के लिए ही अयोध्या का भावनात्मक मुद्दा उछाला गया है। यह जानते हुए भी कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है। जनवरी में सुनवाई होनी है।